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________________ परिशिष्ट १ २४३ २९ मंजिल १ घर घर २२५ ३६ भोर १९७ १६० ७६ बंद बूंद १ प्रज्ञापर्व कुहासे प्रवचन ८ प्रेक्षा प्रवचन ११ मनहंसा मंजिल २ जागो ! प्रवचन ९ अणु गति २११ - २१४ घर २२९ परिग्रह साधन है : साध्य नहीं परिग्रह है पाप का मूल परिमार्जित जीवन-चर्या परिवर्तन परिवर्तन : एक अनिवार्य अपेक्षा परिवर्तन : एक शाश्वत सत्य परिवर्तन और विवेक परिवर्तन का प्रारम्भ कहां से ? परिवर्तन की प्रक्रिया परिवर्तन की मूल भित्ति परिवर्तन भी एक सचाई है परिवर्तन वस्तु का धर्म है परिवर्तन : सामयिक अपेक्षा परिवार की धुरी : महिला परिवार नियोजन का स्वस्थ आधार : संयम परिष्कार का प्रथम मार्ग परिस्थितिवाद : एक बहाना परीक्षण योग्यता का परीक्षा की नयी शैली परीक्षा रत्नत्रयी की पर्दाप्रथा पर्यटकों का आकर्षण : अध्यात्म पर्यटकों को भारतीय संस्कृति से परिचित किया जाये पर्याप्ति : एक विवेचन पर्याय : एक शाश्वत सत्य पर्याय के लक्षण और प्रकार पर्यावरण व संयम पर्यावरण-विज्ञान पर्युषण क्षमा और मैत्री का प्रतीक है पर्युषण पर्व पर्युषण पर्व : एक प्रेरणा पर्युषण पर्व : प्रयोग का पर्व उद्बो समता समता मुखड़ा प्रवचन ९ २५९ २१७ घर ८४ अणु गति १९७ अणु संदर्भ १४४ मंजिल २ २३८ प्रवचन १० १६२ प्रवचन ८ बैसाखियां दीया १११ भोर प्रवचन ९/मंजिल १ २३९/१६ वि दीर्घा कुहासे २१८ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003117
Book TitleAcharya Tulsi Sahitya Ek Paryavekshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKusumpragya Shramani
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1994
Total Pages708
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Literature
File Size23 MB
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