SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 547
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ परिशिष्ट १ १२५ देवीलाल सांभर देश और काल : एक बहाना देश और काल को बदला जा सकता है देश और राजनैतिक दल देश का भविष्य देश का मालिक कौन ? देश की बागडोर थामने वाले हाथ देहे दुक्खं महाफलं १०८ ८० २०९/१४५ २३९ धर्म एक खोए बीति ताहि बैसाखियां बैसाखियां प्रज्ञापर्व बैसाखियां मुक्तिपथ गृहस्थ धर्म एक प्रवचन ४ दोनों प्रवचन १० प्रवचन १० कुहासे सूरज प्रगति की बैसाखियां लघुता प्रवचन ८ प्रज्ञापर्व लघुता समता/उद्बो मुक्तिपथगृहस्थ १९१ १४७ दो दर्शन दोनों हाथ : एक साथ दो पथ : एक घाट दो प्रकार के साधक दो रत्ती चंदन दो शुभ संकल्प दोष का प्रतिकार : व्रत दोष किसी का, दोष किसी पर दोष मुक्ति का नया उपाय द्रव्य के विशेष गुण द्रव्यपूजा और भावपूजा द्रष्टा की आंख का नाम है प्रज्ञा द्वंद्वमुक्ति द्वंद्व मुक्ति का उपाय ५१ २ १८७ १२० १३४ ७२ ७२ १२४/१२५ २०७/१४३ १७५ २२९ धन नहीं, धर्म संग्रह करें धनराज बैद धन से धर्म नहीं धरती को स्वर्ग बना सकते हैं धर्म अच्छा, धार्मिक अच्छा नहीं धर्म अमृत भी, जहर भी धर्म आकाश की तरह व्यापक है धर्म : आचरण का विषय प्रवचन ११ धर्म एक सूरज प्रवचन ४ कुहासे मुखड़ा सोचो !३ घर ९९ ७८ १४७ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003117
Book TitleAcharya Tulsi Sahitya Ek Paryavekshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKusumpragya Shramani
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1994
Total Pages708
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Literature
File Size23 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy