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________________ १९८ अनुकरण किसका ? १४९ आ० तुलसी साहित्य : एक पर्यवेक्षण बूंद बूंद २/उद्बो १३/१२३ समता १२२ खोए बूंद बूंद २ बूंद बूंद २ १९० समता/उद्बो २९/२९ दीया उद्बो/समता ५७/५७ बीती ताहि सोचो ! ३ मंजिल २ बीती ताहि बूंद बूंद २ बूंद बूंद २ १२० मंजिल २ १९२ २१३ अनुकरण की सीमाएं अनुत्तर ज्ञान और दर्शन अनुत्तर तप और वीर्य अनुपम पाथेय अनुप्रेक्षा से दूर होता है विषाद अनुभव के दर्पण में अनुभूत सत्य के प्रवक्ता : भगवान् महावीर अनुमोदना : उपसम्पदा : विजहणा अनुराग से विराग अनुशासन अनुशासन और धर्मसंघ अनुशासन और प्रायश्चित्त अनुशासन का हृदय अनुशासन की त्रिपदी अनुशासन की लौ व्रत से जलेगी अनुशासन निषेधक भाव नहीं अनुशासन से होता है जीवन का निर्माण अनुशासन है मुक्ति का रास्ता अनुस्रोत-प्रतिस्रोत अनूठी दुकान : अनोखा सौदा अनेकता में एकता का दर्शन अनेक बुराइयों की जड़ : मद्यपान अनेकान्त ११५ दीया प्रगति की प्रज्ञापर्व जब जागे दीया सोचो ! ३ वि दीर्घा/राज अतीत का अनैतिकता शांति के भोर प्रवचन ९ आगे वि दीर्घा राज वि दीर्घा राज मुक्तिपथ/गृहस्थ मुक्तिपथ गृहस्थ संभल मनहंसा २४६ १६१/१९० १४७ १७२ २७/८९ १९१ अनेकान्त और वीतरागता अनेकान्त और स्याद्वाद अनेकान्त क्या है ? अनेकान्तदृष्टि अनेकान्तवाद अनेकान्त : स्याद्वाद अनेकान्त है तीसरा नेत्र २२६ १७३/६७ १६८/७९ ११४/११९ ११२/११६ २० १८८ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003117
Book TitleAcharya Tulsi Sahitya Ek Paryavekshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKusumpragya Shramani
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1994
Total Pages708
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Literature
File Size23 MB
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