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________________ समाज युवक नई दिशाएं खोलें युवक पुरुषार्थ का प्रतीक बनें युवापीढ़ी की मंजिल क्या ? युवापीढ़ी : वरदान या अभिशाप यौवन की सुरक्षा : भीतरी रसायन प्रगति के दो रास्ते युवक कहां से कहां तक ? संगठन के बुनियादी तत्त्व गति, प्रगति और युवापीढ़ी ' युवापीढ़ी से तीन अपेक्षाएं युवापीढ़ी स्वस्थ परम्पराएं कायम करें* जीवन-निर्माण की दिशा नई संस्कृति का सूर्योदय अतीत की पृष्ठभूमि : अनागत के चित्र सफल युवक युवक उद्बोधन संकल्प की स्वतंत्रता युवक अपनी शक्ति को संभालें धर्म और युवक युवकों से युवकों से" हम शरीर को छोड़ दें, धर्मशासन को नहीं " नए सृजन की दिशा में वर्तमानयुग और युवापीढ़ी युवक संस्कारी बनें १. १-१०-७८ गंगाशहर । २. १-१-७३ सरदारशहर । ३. १-३-७२ सरदारशहर । ४. १-१२-७२ सरदारशहर । ५. १६-६-७४ युवक प्रशिक्षण शिविर, दीक्षान्त प्रवचन, दिल्ली । ६. २-११-५२ सरदारशहर । Jain Education International अतीत मंजिल २ दोनों दोनों दोनों दोनों दोनों दोनों ज्योति से ज्योति से ज्योति से ज्योति से दोनों दोनों शांति के शांति के कुहासे भोर समाधान प्रवचन ९ प्रवचन ९ दायित्व वि दीर्घा वि दीर्घा ज्योति से १८३ ९६ १९७ १७३ १७८ १७६ १८० १६७ १५७ १६५ १६९ For Private & Personal Use Only १८३ १७५ : ९९ १४२ १०० ९१ १२० ६० १ .१९५ १३० ३९ १४५ १५० १६१ ७. ४-५-५२ युवक सम्मेलन, लाडनूं । ८. ५-७- ४ बम्बई ( सिक्कानगर ) । ९. २७-७-५३ जोधपुर । १०. १३-५-५३ गंगाशहर । ११. २१-५-७३ दूधालेश्वर महादेव । १२. १-२-७४ दिल्ली । www.jainelibrary.org
SR No.003117
Book TitleAcharya Tulsi Sahitya Ek Paryavekshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKusumpragya Shramani
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1994
Total Pages708
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Literature
File Size23 MB
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