SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 460
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ आ० तुलसी साहित्य : एक पर्यवेक्षण सूरज सूरज प्रवचन ९ मुखड़ा वैसाखियां १४१ ५१ २११ समता खोए २३ भोर G . W सुख का रस्ता व्यक्ति की मनोभूमिका सुखी कौन ? सुख को सहना कठिन है कैसे दूर होगा मन का अंधकार ? सुधार सुधार का मूल : व्यक्ति सुधार की बुनियाद व्यक्ति-सुधार ही समष्टि-सुधार है। सुधार का प्रारम्भ स्वयं से सर्वजनहिताय : सर्वजनसुखाय' सुधार की क्रान्ति शुभ शुरूआत स्वयं से हो व्यक्तिवादी दृष्टिकोण बने" जीवन-सुधार का सच्चा मार्ग" सुधार का मार्ग१२ सुधार का आधार स्वागत एवं विदाई-संदेश संतों की स्वागत-सामग्री : त्याग वास्तविक स्वागत स्वागत और विदाई५ . विदाई-संदेश प्रवचन ११ सूरज सूरज भोर प्रवचन ११ संभल संभल १४१ १६८ १५४ घर २८० शांति के सूरज प्रवचन ११ आ.तु. १२३ २४२ ७६ १२१ १. २१-४-५५ मोकरधन । २. १२-७-५५ उज्जैन। ३. नोखा। ४. ११-९-८० लाडनूं। ५. २७-६-५४ बम्बई (मागा)। ६. २१-११-५३ जोधपुर। ७. २-१-५५ बम्बई (मुलुन्द)। ८. ५-७-५५ उज्जैन। ९. ६-९-५४ बम्बई। १०.११-२-५४ राणावास । ११. २३-९-५६ सरदारशहर । १२. १९-८-५६ सरदारशहर । १३. २२-७-५३ जोधपुर, नागरिक स्वागत समारोह। १४. २७-१२-५५ पेटलावद । १५. १७-११-५३ जोधपुर । १६. आषाढ कृष्णा ८, गुरुवार, दिल्ली (करौलबाग)। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003117
Book TitleAcharya Tulsi Sahitya Ek Paryavekshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKusumpragya Shramani
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1994
Total Pages708
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Literature
File Size23 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy