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________________ १२० ६७ सूरज आ० तुलसी साहित्य : एक पर्यवेक्षण मंजिल २/मुक्तिः इसी ९/२० वैसाखियां १९६ प्रवचन ९ समता २१३ खोए १३१ वैसाखियां १३५ २११ संभल घर खोए समता/उद्बो समता/उद्बो ४५/४५ खोए समता/उद्बो १८३/१८५ समता उद्बो १३४/१३६ नैतिकता के मंजिल १ २२८ २० बूंद बूंद २ १४२ खोए दमन बनाम शमन' अपराध के प्रेरक तत्त्व तीन वृत्तियां अखंड व्यक्तित्व के सूत्र मनोबल कैसे बढाएं ? स्मरण शक्ति का विकास अवधान क्रिया अवधान विद्या अवधान विद्या आभामण्डल का प्रभाव असंतुलन के कारण संघर्ष से शान्ति क्या आदतें बदली जा सकती हैं ? बड़ा कौन ? शांति का मूल भयमुक्ति चार प्रकार के पुरुष अस्वीकार की शक्ति तनाव मुक्ति का उपाय जीने का दर्शन लेश्या भावधारा से बनता है व्यक्तित्व भावधारा की विशुद्धि से मिलने वाला सुख लेश्या और रंगों का संबंध अंत समय में होने वाली लेश्या का प्रभाव उत्थान व पतन का आधार : भावधारा रस, गंध और स्पर्श चिकित्सा ११२ खोए जब जागे जब जागे जब जागे जब जागे प्रवचन ८ प्रेक्षा २४८ १६० १. २९-५-७६ पडिहारा २. ८-४-५३ बीकानेर ३. ४-९-५५ उज्जैन ४. २४-२-५६ भीलवाड़ा ५. १९-५-५७ लाडनूं ६. १६-६-७७ लाडनूं ७. २८-८-६५ दिल्ली ८. २९-८-७८ गंगाशहर Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003117
Book TitleAcharya Tulsi Sahitya Ek Paryavekshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKusumpragya Shramani
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1994
Total Pages708
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Literature
File Size23 MB
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