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आ० तुलसी साहित्य : एक पर्यवेक्षण
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२७८ १८३
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प्रवचन ११ संदेश आगे मुखड़ा मुखड़ा मुखड़ा प्रवचन ५ सफर मुखड़ा सोचो! ३ अतीत का घर मंजिल १ अतीत का मंजिल १ दायित्व का वि० दीर्घा ज्योति से कुहासे जब जागे प्रवचन १० प्रवचन १० कुहासे
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तेरापंथ की मंडनात्मक नीति' जहां विरोध है, वहां प्रगति है संघ का गौरव श्रम और सेवा का मूल्यांकन संघ में कौन रहे ? भेद में अभेद की खोज वैयक्तिक और सामूहिक साधना का मूल्य रचनात्मक प्रवृत्तियां संगठन के तत्त्व नई पोढ़ी और धार्मिक संस्कार शरीर को छोड़ दें, धर्मशासन को नहीं स्थिरवास क्यों ? एक स्वस्थ पद्धति : चिन्तन और निर्णय की दायित्वबोध के सूत्र संघ और हमारा दायित्व संघ, संघपति और युवा दायित्व श्रावक अपने दायित्व को समझे युगबोध : दिशाबोध : दायित्वबोध सर्वोत्तम क्षण यस्य नास्ति स्वयं प्रज्ञा संस्कार से जैन बनें" कर्तव्यबोध जागे अमृत संसद सीमा में असीमता पुण्य स्मृति संस्कृत भाषा का विकास
७७
२१२
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१३६ १५३ १३८ १९३
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७९
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कुहासे
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प्रवचन ११ मंजिल १
१. १५-५-५४ अहमदाबाद । ७. २७-५-७७ लाडनूं । २. ३०-५-६६ सरदारशहर । ८. २२-५-७३ दूधालेश्वर महादेव । ३. २७-१२-७७ जैन विश्व भारती, ९ १६-२-७५ डूंगरगढ़ । ४. १३-१-७८ जैन विश्व भारती, १०.५-२-७९ राजलदेसर । ५. लाडनूं, स्थिरवास शताब्दी महोत्सव ११. १२-९-७८ गंगाशहर । ६. १३-१-७७ राजलदेसर।
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