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आ० तु० साहित्य : एक पर्यवेक्षण
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संभल प्रवचन ९ प्रवचन ११ ज्योति के जन जन धर्म : एक आ तु/विश्वशांति प्रगति की ज्योति के
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शांति का पथ' शांति का साधन शांति की ओर वादों के पीछे मत पड़िए विश्वशांति के प्रेमियों से शांति और लोकमत विश्वशांति और उसका मार्ग बाह्य भेदों में मत उलझिए अशांति की चिनगारियां : उन्माद संकल्प संकल्प का मूल्य संकल्प : क्यों और कैसे ? दृढ़ संकल्प : सफलता की कुंजी वही दरवाजा खुलेगा, जिसे खटखटायेंगे सफलता का दूसरा सूत्र जैसी सोच, वैसी प्राप्ति साधना की आंच : संकल्प का घट संयम मनुष्य जीवन की श्रेष्ठता का मानक संयम से होता है शक्ति का जागरण संयम का मूल्य प्राकृतिक आपदा और संयम संयम ही सच्ची स्वतंत्रता प्राकृतिक समस्या और संयम आनन्द का द्वार प्रवाह को बदलिये संयम एक महल है।
मुखड़ा प्रवचन ५ प्रवचन ५ कुहासे वैसाखियां समता आलोक में
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२१४
९०
११३
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मनहंसा जब जागे वैसाखियां कुहासे प्रज्ञापर्व कुहासे वैसाखियां क्या धर्म मंजिल १
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१. ४-४-५६ लाडनूं । २. २३-३-५३ बीकानेर। ३. शांति निकेतन में आयोजित विश्व
शांति सम्मेलन के अवसर पर ।
४. ५-११-७७ लाडनूं । ५.८-१-७८ लाडनूं । ६. ३१-१-७७ राजलदेसर ।
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