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________________ जीवनसूत्र ५३ ८५ ११ १७६ भोर प्रवचन १० प्रवचन ११ प्रवचन ५ ज्योति के प्रवचन ९ प्रवचन ९ प्रवचन ५ प्रवचन ११ प्रवचन ११ संभल संभल घर १५० १५० दीया त्याग का महत्त्व त्याग : हमारी सांस्कृतिक धरोहर' सुख का मार्ग : त्याग' त्याग : मुक्तिपथ जीवन की उच्चता का मापदण्ड त्याग का मूल्य त्याग बनाम भोग सचित्त परित्याग का मूल" सबसे बड़ी आवश्यकता त्याग की महत्ता त्याग के आदर्श की आवश्यकता त्याग और सदाचार की महत्ता त्याग का महत्त्व पुरुषार्थ परम पुरुषार्थ की शरण जीवन सफलता के दो आधार" पुरुषार्थ की गाथा श्रम से न कतराएं क्या भारत अमीर हो गया ? जैनधर्म का मूलमंत्र : पुरुषार्थ सुख का सीधा उपाय श्रम की संस्कृति स्वयं का ही भरोसा करें३४ स्वर्ग कैसा होता है ? जीवन का अभिशाप १. ११-७-५४ बम्बई। २. ३-४-७९ (कोतिनगर) दिल्ली। ३. जोधपुर। ४. २९-११-७७ लाडनूं । ५. ११-७-५३ पीपाड़। ६. १५-३-५३ उदासर । ७. २८-१२-७७ लाडनूं। ६ आगे मंजिल १ प्रज्ञापर्व वैसाखियां बूंद बूंद २ वैसाखियां समता सोचो! ३ समता समता T २३६ २४० २३१ ८. जोधपुर । ९. ५-५-५४ चिरमगांव। १०. २८-५-५६ पडिहारा। ११.६-३-६६ भटिण्डा। १२. १०-११-७६ सरदारशहर । १३. १५-७-६५ दिल्ली। १४. ११-१-७८ जैन विश्व भारती। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003117
Book TitleAcharya Tulsi Sahitya Ek Paryavekshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKusumpragya Shramani
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1994
Total Pages708
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Literature
File Size23 MB
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