SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 364
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ € ५० अपभाषण सुनना भी पाप है सम्बन्धों की मिठास नया युग : नया जीवन दर्शन मुसकान की मिठास जन साधारण का आदर्श क्या है ? " जीवन को संवारें ? मूल्यांकन विनय का अमृत क्या है ? जहर क्या है ?" बाणी की महत्ता * जीवन निर्माण के दो सूत्र सोचो ! समझो !! जीवन और लक्ष्य शुद्ध जीवन चर्या सफलता के साधन ' जीवन विकास का मार्ग" जीवन का निर्माण " क्रोध के दो निमित्त प्रमाद ही भय आत्म प्रशंसा का सूत्र कसौटी के क्षण मानव धर्म अपनाएं? (अप्रमाद) समय का मूल्य" सार्थक जीवन १४ कसौटी ५ १. ३१-३-५४ आबू । २. २५-५-५५ हाकरखेड़ा । ३. ११-१०-६५ दिल्ली । ४. १७-२-५३ कालू ५. २१-४-७९ शाहबाद । ६. २१-७-७७ लाडनूं । ७. २९-३-५६ डीडवाना । ८. ५-४-५६ लाडनूं । Jain Education International आ तुलसी साहित्य : एक पर्यवेक्षण 1 कुहासे कुहासे कुहासे खोए प्रवचन ११ सूरज जब जागे जागो ! प्रवचन ९ प्रवचन १० प्रवचन ४ संभल संभल भोर सूरज प्रवचन ११ सोचो ! ३ प्रज्ञापर्व खोए खो भोर प्रवचन ९ प्रवचन ९ शांति के ९. ७-१२- ५४ कुर्ला (बम्बई ) । १०. १४-१-५५ मुलुन्द । ११. ३०-३-७८ लाडनूं । १२. २१-६-५४ (अंधेरी) बम्बई । १३. २४-७-५३ जोधपुर । १४. ९-७-५३ बड़लू । १५. ७-७-५२ बीदासर, सम्मेलन के अवसर पर For Private & Personal Use Only १८४ २१२ ३ १०४ १७८ १३० १८७ ८४ ३५ २१२ १ ८८ १०१ १८० ११ ९० १६० ७६ ४० ९१ ४३ १९४ १७४ ९३ नागरिक www.jainelibrary.org
SR No.003117
Book TitleAcharya Tulsi Sahitya Ek Paryavekshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKusumpragya Shramani
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1994
Total Pages708
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Literature
File Size23 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy