SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 321
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ अध्यात्म आत्मा का स्वरूप' मृत्यु का दर्शन जागरण विवेक का वैराग्य का मूल्य ૨ द्वन्द्वमुक्ति जीने की कला प्राप्तव्य क्या है ? मानव जीवन की सार्थकता संस्कृति और युग * प्रमाद से बचो वे आज कहां ?" सच्चे मानव बनें नियम को समझें आज के युग की समस्याएं मूल्यों की चर्चा व्यष्टि और समष्टि' अनुभव के दर्पण में आत्मदर्शन साम्यवाद और साम्ययोग आध्यात्मिकता एवं राष्ट्रीय चरित्र का निर्माण जागृति कैसे और क्यों ? ९ आस्था के अंकुर चेतना का ऊर्ध्वारोहण जीवन विकास और आज का युग" १. ३०-९-७७ लाडनूं । २. ५-१-७९ डूंगरगढ़ | ३. १९-६-७८ नोखामंडी | ४. १९-९-५३ जोधपुर । सोचो ! मुखड़ा क्या धर्म Jain Education International प्रवचन १० समता/ उद्बो समता/ उद्यो खोए सोचो ! ३ प्रवचन ९ खोए शांति के भोर खोए आतुर मनहंसा बूंद बूंद १ समता / उद्बो समता / उद्बो अणु संदर्भ राज बागे समता / उद्बो समता / उद्बो शांति के '9 For Private & Personal Use Only १६६ ६७ १२१ १० १२४/१२५ १३२/१३३ ११३ २७५ २५७ १५९ २५५ ६.२ १२८ ६९ २७ ५७/५५ १०१/१८३ ६. ८-७-५४ मांडवी बंदर (बम्बई ) । ७. पार्लियामेंट सदस्यों के बीच | ८. १७-३-६५ समदड़ी । ९. २७-४-६६ गजसिंहपुर । ५. २७-११-५३ छितर पैलेस, जोधपुर । १०२ -८-५३ जोधपुर । १०८ ११= २१६ १६५/१६७ १४२/१८४ १४० www.jainelibrary.org
SR No.003117
Book TitleAcharya Tulsi Sahitya Ek Paryavekshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKusumpragya Shramani
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1994
Total Pages708
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Literature
File Size23 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy