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गद्य साहित्य : पर्यालोचन और मूल्यांकन
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इस आलेख में संक्षेप में उनके कर्तृत्व को उजागर करने का प्रयत्न किया है । आचार्यकाल के पचास वर्ष पूरे होने पर 'अमृत महोत्सव राष्ट्रीय समिति द्वारा उनके जीवन को उजागर करने का यह लघु प्रयास किया गया ।
आचार्यश्री तुलसी : कलम के घेरे में
इस बुकलेट की लेखिका साध्वीप्रमुखा कनकप्रभाजी हैं। इसमें मुख्य रूप से आचार्य तुलसी के व्यक्तित्व के महत्त्वपूर्ण पहलू - साहित्य-सृजन को उजागर किया गया है । यह पुस्तिका अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद् के ‘सत्संस्कार माला' का आठवां पुष्प है ।
युगप्रधान आचार्यश्री तुलसी
बच्चों को आचार्यश्री के जीवन से परिचित कराने के लिए मुनिश्री विजयकुमारजी द्वारा लिखी गयी यह जीवनी कामिक्स के रूप में है । ५० पृष्ठों में इसमें आचार्यश्री के सम्पूर्ण जीवन की मुख्य-मुख्य घटनाओं को रेखाचित्रों के माध्यम से प्रस्तुत किया गया है । बालकों में सत्संस्कार भरने तथा एक महापुरुष के जीवन से परिचित कराने की दृष्टि से यह कृति बहुत उपयोगी है ।
इन स्वतंत्र जीवनी ग्रन्थों एवं लघु पुस्तिकाओं के अतिरिक्त अन्य स्रोतों से भी उनके जीवन-दर्शन को जाना जा सकता है । मुनिश्री नवरत्नमलजी ने तेरापंथ में दीक्षित सभी साधु-साध्वियों के इतिहास को शासन - समुद्र ग्रंथमाला के रूप में निबद्ध कर दिया है, उसमें आचार्यश्री का जीवन चौदहवें भाग में है । मुनिश्री बुद्धमल्लजी ने 'तेरापंथ का इतिहास' पुस्तक में आचार्यश्री के जीवनवृत्त को प्रस्तुत किया है ।
साध्वी संघमित्राजी के 'जैन धर्म के प्रभावक आचार्य' पुस्तक से सरस शैली में उनके जीवन के बारे में जानकारी प्राप्त की जा सकती है । साध्वीप्रमुखा श्री कनकप्रभाजी की साहित्यिक कृति ' दस्तक शब्दों की ' पुस्तक में अनेक लेख आचार्यश्री के विविध आयामी व्यक्तित्व को साहित्यिक शैली में उजागर करते हैं ।
आचार्य तुलसी केवल भारत के लिए ही नहीं, विदेशी लोगों के लिए भी आकर्षण एवं श्रद्धा के केन्द्र हैं । अतः अंग्रेजी भाषा में मुनि बुद्धमलजी की Acharya Shri Tulsi, मुनि महेन्द्रकुमारजी की Light of India, सोहनलाल गांधी की Acharya Tulsi ( A peacemaker par Excellence), Acharya Tulsi ( Fifty years of Selfless Dedication) आदि जीवनी ग्रंथ भी अत्यन्त महत्त्वपूर्ण हैं ।
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