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________________ होता। शरीरशास्त्री कहते हैं-एक घंटा चलने से शरीर में एसिड बढ़ता है, स्नायु-शर्करा कम हो जाती है। उसे बढ़ाने के लिए पांच मिनट का आराम करना चाहिए। कोई भी ऐसा नहीं जो सतत चलता हो, स्थिति नहीं करता। गति और स्थिति, श्रम और विश्राम, नींद और जागरण दोनों उपयोगी हैं। काम के बाद आराम और उसके बाद फिर काम करता है, वही सफल होता है। गति के बाद स्थिति और फिर गति होती है, तब हम अव्रत के बाद व्रत की बात क्यों भुला देते हैं! समाज नियंत्रण करता है। कोई भी अनियंत्रित नहीं रह सकता। अमर्यादित जीवन समाज में चल नहीं सकता। मर्यादा दो प्रकार की होती है-एक भीतर से आती है और दूसरी बाहर से थोपी जाती है। जिसके अनुशासन भीतर से आता है, उसका बाहरी अनुशासन कम हो जाता है। वह समाज शिष्ट व उन्नत होता है जिसमें आंतरिक अनुशासन होता है। सरकार से या बाहर से किसी से थोपा गया अनुशासन अच्छा नहीं होता। यौगलिक युग में इतना अनुशासन था कि कोई भी गलत काम करना नहीं चाहता था। कोई कह देता कि 'तुमने यह किया' उसके लिए फांसी के समान दंड था। आज तो इसका कोई मूल्य ही नहीं है। जैसे वस्तु का विकास बढ़ा, वैसे ही लालसा बढ़ती गई। वस्तुओं के विकास के बिना समाज का स्तर ऊंचा नहीं होता। जिस घर में पंखा, बिजली, रेडियो, फ्रीज नहीं होता, वह उच्चस्तरीय घर नहीं कहलाता। एक ओर विकास के मापदंडों की पूर्ति के लिए साधनों को बढ़ाना आवश्यक है, दूसरी ओर जीवन का क्रम है। जहां ये चीजें बढ़ती हैं, आत्मानुशासन कम होता चला परम धर्म के सूत्र Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003116
Book TitleDharma ke Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year2000
Total Pages200
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size6 MB
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