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डाकू बुद्ध के पास आया और भिक्षु बन गया। वाल्मीकि भी पहले डाकू था। अर्जुनमालाकार छह आदमी और एक औरत को प्रतिदिन मारता था। वह भगवान महावीर के पास गया और साधु बन गया। उसके भीतर अच्छाई की मात्रा छिपी थी, उसको जगाई, वह साधु बन गया। आप निश्चित मानिए, जिसको खराब मानते हैं, उसमें भी बहुत अच्छाई पड़ी है। यदि हम चाहें तो एक बुरे व्यक्ति को अच्छा बना सकते हैं, यदि उसके साथ हमारा व्यवहार अच्छा हो। खराब व्यवहार होने से अच्छा आदमी भी बुरा बन जाता है। जिनको क्रूर मानते हैं, वे क्यों होते हैं क्रूर? सत्ता-सम्पन्न, धन-सम्पन्न और शिक्षा-सम्पन्न वर्ग यदि ध्यान नहीं देता है, पतित वर्ग की सद्भावना प्राप्त नहीं करता है तो वह क्रूरता को जन्म देता है।
यदि मन की क्रूरता और स्वार्थ दूर नहीं होगा तो वर्तमान की स्थिति का कोई समाधान नहीं होगा। गुरुदेव ने बंगाल की स्थिति पर चेतावनी देते हुए कहा था-श्रावक वह है जो देशकाल के आधार पर अपने में परिवर्तन कर लेता है। जो नहीं करता है, उसको कठिनाई का सामना करना पड़ता है।
सम्यक्दृष्टि (४) म ६७
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