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हैं, परन्तु परम्परा में अपना योग देकर उसको विकसित करने वाले विरले ही होते हैं। आचार्य भिक्षु, जयाचार्य और आचार्य तुलसी उन महापुरुषों में थे जिन्होंने अपने कर्तृत्व से परंपराओं की नई लकीरें खींची हैं।
३० धर्म के सूत्र
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