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________________ व्यवहार करूं-यह सौदा है, विनिमय है। अहिंसक जानता हुआ भी दूसरों के साथ अच्छा व्यवहार करता है। भगवान महावीर जानते थे कि कौशिक पैरों पर डंक मार रहा है, फिर भी उस पर अकृपा की दृष्टि नहीं हुई। दूसरी ओर लोग पूजा करने आए, उन पर भी वही दृष्टि रही। जिस व्यक्ति में समता का विकास नहीं हुआ है, उसमें अहिंसा स्थापित नहीं हो सकती। जिसमें शक्ति का विकास न हो, वह अहिंसक नहीं हो सकता। अहिंसा की प्रतिष्ठा कैसे होगी। यदि गुणों को स्थान नहीं दिया जाएगा तो? आचरण में तेज कैसे आए, इस पर विचार करना है। समत्व की भूमिका सामायिक का अधिकारी कौन हो सकता है? इस प्रश्न के उत्तर में भगवान महावीर ने कहा-जिसके मन में सब जीवों के प्रति समता का अंकुर उत्पन्न हो गया हो वह सामायिक करने का अधिकारी है। श्रावक कुल में जन्म लेने मात्र से सामायिक का अधिकारी नहीं होता। सामायिक करने वाले स्वयं से उत्तर लें कि वे सामायिक करने के अधिकारी हैं या नहीं? जिसमें सामायिक नहीं होती, वह अहिंसा व्रत को स्वीकार नहीं कर सकता। अहिंसक वही होता है जिसमें सामायिक होती है। जो आदमी सामायिक करना जानता है, वह अहिंसक होता है। जो अहिंसक होता है, वही सामायिक करना जानता है। अहिंसा जीवन के लिए उपयोगी है। वह हमारे व्यवहार को सुधारने की कला है। जिसके व्यवहार में अहिंसा का असर नहीं हो, उसे कैसे मान लें, वह धार्मिक है? धर्म के द्वारा आचरणों जीवन में अहिंसा का रूप म १८१ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003116
Book TitleDharma ke Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year2000
Total Pages200
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size6 MB
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