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___एक बार भगवान महावीर ने गौतम से कहा-गौतम! आज तुम्हें सब योग प्राप्त हैं, इसलिए तुम प्रमाद मत करो। भावी पीढ़ी के लोग कहेंगे
न हु जिणे अज्ज दिस्सई, बहुमए दिस्सई मग्गदेसिए। संपइ नेयाउए पहे, समयं गोयम! मा पमायए ॥
आज जिन नहीं हैं, धर्म को साक्षात् जानने वाले नहीं हैं, अनेक मार्गदर्शक हैं और उनके भिन्न-भिन्न मत हैं।
___ जानना और साक्षात् जानना-इनमें बहुत अन्तर है। हम लोग दूसरों के माध्यम से जानते हैं, यह नगद धर्म नहीं है। जिस दिन नगद धर्म आ जाएगा, उस दिन बहुत कुछ बदल जाएगा।
'अहिंसा अच्छी है', क्योंकि भगवान महावीर ने कहा है कि अहिंसा से स्वर्ग और हिंसा से नरक मिलता है। पर क्या आपने जीवन में अनुभव किया कि अहिंसा से स्वर्ग और हिंसा से नरक मिलता है? जब हमारा यह अनुभव हो जाएगा तब वह नगद धर्म होगा। मार्ग अनेक : पथिक एक
श्रीकृष्ण को मानने वाले गीता के अनासक्त योग की प्रशंसा करते हैं। महावीर को मानने वाले अहिंसा के गुण गाते हैं। बुद्ध को मानने वाले करुणा का बखान करते हैं। ईशु को मानने वाले कहते हैं-जो धर्म महाप्रभु ईशु ने बताया, वह किसी ने नहीं बताया। मुहम्मद के अनुयायी कहते हैं, धर्म की जो व्याख्या मुहम्मद ने दी वैसी किसी ने नहीं दी। सब अपना-अपना स्वर आलापते हैं। अपनी-अपनी प्रशंसा करते हैं। धर्म के मार्ग इतने
धर्म एक : मार्ग अनेक १४६
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