________________
है, ध्वंस का काम है - ऐसा नहीं होना चाहिए । उनको समझाने के लिए बुद्ध ने कहा- सामने वाले वृक्ष की चार पत्तियां तोड़ लाओ । वे बुद्ध के पास तोड़कर ले आए। बुद्ध ने डाकुओं के मुखिया से कहा - 'इन्हें लो और वापस जोड़ आओ।' मुखिया बोला- ' तोड़ना हमारे हाथ है, जोड़ नहीं सकते।' बुद्ध ने समझाया - 'देखो ! ध्वंस सरल होता है, निर्माण कितना कठिन होता है । जीवन का निर्माण बहुत कठिन होता है ।' बच्चों को प्रारंभ में अच्छे संस्कार न मिलने से वे बिगड़ जाते हैं। हर व्यक्ति में अच्छाई और बुराई होती है । प्रश्न है, किसे प्रकट किया जाए? अच्छाई और बुराई का जैसा निमित्त मिलेगा, वह प्रकट हो जाएगी। हर लड़का अच्छा भी होता है और बुरा भी होता है ।
प
वैज्ञानिकों ने खोज की है। मनुष्य के सिर में बेर जितनी दो ग्रन्थियां हैं - सुख की और दुःख की। किसी उपकरण के द्वारा, बिजली के द्वारा अथवा योग साधना के द्वार सुख की ग्रन्थि को उत्तेजित कर दिया जाए तो हजार सुविधा मिलने पर भी दुःख नहीं होगा । कठिनाई है कि दोनों ग्रन्थियां साथ-साथ जुड़ी हुई हैं । कहीं भूल से सुख के स्थान पर दुःख की ग्रन्थि उत्तेजित हो जाए तो फिर दुःख ही दुःख की अनुभूति होने लगेगी ।
यही बात बालकों के निर्माण की है । अच्छाई को उत्तेजित करने से बुराई दब जाएगी। आजकल हर व्यक्ति के मानस का परिवर्तन किया जा सकता है, ब्रेनवाशिंग की प्रक्रिया के द्वारा । न केवल बच्चों का ही, बल्कि बड़े-बड़े लोगों का भी संस्कार बदला जाता है। दो टिकिया देने से, आने वाला गुस्सा बंद हो जाता है। जो काम साधना से होता था, आजकल वह
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org
Jain Education International