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प्रकाशकीय
भगवान् महावीर के जीवन दर्शन, जीवन साधना के प्रसंग एवं जैन परम्परा की दृष्टियों को अनेकान्त के आधार पर सरल एवं रोचक शब्दों में लघु पुस्तिका के रूप में प्रस्तुत यह कृति आचार्य तुलसी की लेखनी की विरल विशेषता है।
पुस्तक के अन्त में सुक्ति-संग्रह के माध्यम से भगवान् महावीर के चिन्तन और विचारधारा को जिस सारगर्भित रूप में प्रस्तुत किया है उससे महावीर की आत्मा की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त हुआ है।
भगवान् महावीर की पच्चीसवीं निर्वाण शताब्दी के सुअवसर पर इस पुस्तक का प्रथम संस्करण प्रकाशित कर जैन विश्व भारती ने उस महापुरुष के प्रति अपनी भाव भरी श्रद्धांजली अर्पित की। भगवान् महावीर की २६०० वीं जन्म जयन्ती के अवसर पर इस पुस्तक के बारहवें संस्करण का प्रकाशन पुस्तक की जनोपयोगिता का स्वयं में ही स्पष्ट प्रमाण है । जैन विश्व भारती द्वारा संचालित जैन विद्या रत्न प्रथम वर्ष परीक्षा में यह पुस्तक पाठ्य पुस्तक के रूप में स्वीकृत है जिसका बंगला, गुजराती, अंग्रेजी आदि अनेक भाषाओं में अनुवाद भी हो चुका है । विश्वास है कि इस कृति के द्वारा पाठकगण भगवान् महावीर के जीवन दर्शन और साधना पद्धति से अवगत हो सकेंगे ।
जैन विश्व भारती
लाडनूं (राज.)
महावीर जयन्ती दिनांक ६ अप्रेल,
Jain Education International
२००१
गुलाबचन्द चिण्डालिया मंत्री
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