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दर्शन और उद्बोधन/९७
८९. जिदरागो जिददोसो जिदिदिओ जिदभओ जिदकसाओ।
रदि-अरदि-मोह-महणो, झाणोवगओ सदा होइ।।
-ध्यान-कोष्ठ-समाधि में गया हुआ मुनि राग, द्वेष तथा इन्द्रियों पर विजय पा लेता है। उसका भय नष्ट हो जाता है, कषाय टूट जाते हैं। वह रति, अरति और मोह का विनाश कर डालता है।
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