________________
(48)
यह सुन्दर अवसर आया 1 मस्तिष्क मनुज का पाया है। निर्मल मन निर्मल काया है ।। 1. जीवन की पोथी के पहले पन्ने में, मैत्री मंत्र लिखो । सिर-दर्द समूल मिटाने . का,
यह सुन्दर... ।।
1
आत्मा की पोथी पढ़ने का सोपान यही है चढ़ने का संवत्सर का संदेश सुनें,
2. भूलो, भूलो, उसको भूलो, जो कटुता का व्यवहार हुआ। जीवन को सरस बनाने का, यह सुन्दर... ।।
,
3. खोलो अब वैर विरोधों की गांठें जो घुलती आई हैं। तन मन को स्वस्थ बनाने का, यह सुन्दर... ।। 4. क्यों खोज शांति की बाहर में, वह अपने मन की छाया है । उपशम की शक्ति बढ़ाने का, यह सुन्दर... ।। 5. सहना सीखो, कहना सीखो, रहना सीखो दिनचर्या में । मृदुता की ज्योति जलाने का, यह सुन्दर... ।। 6. हो वार्षिक आत्म निरीक्षण भी, क्या खोया है, क्या पाया है। वीर्य जगाने का........।।
आत्मा
का
56
7. जो
अन्तर्दर्शन पाएगा, वह अपनी आत्मा को पाने
Jain Education International
'महाप्रज्ञ'
का
कहलाएगा।
यह
लय: जिसके मन में हरि नाम बसे...
संदर्भ : संवत्सरी महापर्व बीदासर, 23 अगस्त, 2001
For Private & Personal Use Only
सुन्दर...।।
चैत्य पुरुष जग जाए
www.jainelibrary.org