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पन्नाजी की जीवन-गाथा, पावन हम सब मिलकर गाएं। जप-तप की है महिमा जग में, जप-तप को हम आज बधाएं।। 1. जीवन की पोथी का देखा, पन्ना सदा खुला है। संयम के इस वृत्त चित्र में, तप का रंग घुला है।।
पन्नाजी की जीवन गाथा... 2. संघ भक्ति की शक्ति अलौकिक, निर्मल जल की धारा। बालू मालू ने पाया था, जिसका सदा सहारा।।
पन्नाजी की जीवन गाथा... 3. दीर्घ तपस्या, दिव्य तपस्या, दिव्य संपदा पाई। देखी अद्भुत जन मानस में, आस्था की गहराई।।
पन्नाजी की जीवन गाथा... 4. ध्यान जाप में रात बीतती, सेवा करती दिन में। गाय दूझती-सी लगती थी, जागरूक छिन-छिन में।।
पन्नाजी की जीवन गाथा... 5. अहंकार का लेश नहीं था, यश का ध्वज लहराया। 'महाप्रज्ञ' शासन गौरव का, गुरु ने गौरव गाया।।
पन्नाजी की जीवन गाथा...
लयः तेरे पग-पग पर खतरा है राही... संदर्भ : दिव्य तपस्विनी साध्वी पन्नाजी का स्मृति दिवस
लाडनूं, कार्तिक कृष्णा 9, वि.सं. 2057
रुष जग जाए
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