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आओ गाएं गीत नियति को मिला नया वरदान है। आज विसर्जन की महिमा का पग-पग पर आह्वान है ।।
1. अहं विलय से ही दुनिया में, आता नया सवेरा है। तेरापंथ समर्पण का पथ, सब कुछ तेरा-तेरा है। मेरा केवल अनुशासन यह भीखण का अवदान है ।। आर्य भिक्षु ने मंत्र पढ़ा।
2. शिष्य वंश का करो विसर्जन, शिष्य वंश की परंपरा का एक नया इतिहास गढ़ा । योग्य शिष्य की पंरपरा का यह पहला सोपान है ।।
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3. अधिकारों का करो विसर्जन, अग्रगण्य को सूत्र दिया । पद के पीछे कभी न भागो, कार्य मुख्य, पद गौण किया । अधिकारों के कुरुक्षेत्र का, यह अभिनव प्रस्थान है । । 4. अर्जन पीछे चले विसर्जन, हुई प्रवाहित वर वाणी । आर्यप्रवर तुलसी के मुख से, केरल में वह कल्याणी । सूरज के पीछे-पीछे दिन, सदा-सदा गतिमान है ।। 5. सहज समर्पण और विसर्जन, चिर जीवन का त्राण बने । धर्मसंघ के लिए समर्पित, तन-मन ऊर्जा प्राण बने । कंठ-कंठ में आज विसर्जन की गाथा का गान है ।।
6. तुलसी गुरु का महा विसर्जन, सबसे अधिक निराला है । अहं विलय के दूर क्षितिज पर, अद्भुत आज उजाला है परम सत्य के दिव्यलोक में, आत्मा का सम्मान है । ।
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7. मर्यादा का प्रवर महोत्सव, दिल्ली के हर स्पंदन में । गुरु की गरिमा बोल रही है, प्रमुदित सब गण नंदन में ।। 'महाप्रज्ञ' आलोक रश्मि का, यह पावन अभियान है। 'महाप्रज्ञ' भैक्षव शासन का तेजस्वी अभियान है ।।
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लय : आओ, अपनी डगर बनाएं....
संदर्भ : मर्यादा महोत्सव माघ शुक्ला 7, वि.सं. 2051
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चैत्य पुरुष जग जाए
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