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सात
(14) 'संघे शक्ति : कलौ युगे' है शक्ति संघ में है कलियुग में, तुमने यह सप्राण किया है अंतर् दर्शन की किरणों ने, संगठन को त्राण दिया है...
'संघे शक्ति : कलौ युगे' है 1. है विश्वास मुझे अपने पर, है प्रतीति अपने साथी पर संगठन का सूत्र अनुत्तर, तुमचे यह अनुमान दिया है।।
संगठन को त्राण दिया है... 'संघे शक्ति : कलौ युगे' है 2. गणपति के प्रति पूर्ण समर्पण, कण-कण को मिलता है तर्पण आत्म निरीक्षण का वह दर्पण, एक नया अनुपान दिया है।।
संगठन को त्राण दिया है... 'संघे शक्ति : कलौ युगे' है 3. संगठन को जो तुम चाहो, तो विवाद को दूर भगाओ संवादी स्वर को अपनाओ, एक नया संधान दिया है।
संगठन को त्राण दिया है... 'संघे शक्ति : कलौ युगे' है। 4. संगठन को जो तुम चाहो, तो दोषी को दोष बताओ नहीं छिपाओ ना फैलाओ, एक नया अभियान दिया है।।
__संगठन को त्राण दिया है... 'संघे शक्ति : कलौ युगे' है 5. संख्या पीछे ही रह पाए, गुणवत्ता ही आगे आए गण का गौरव बढ़ता जाए, एक नया आह्वान किया है।।
__ संगठन को त्राण दिया है... "संघे शक्ति : कलौ युगे' है 6. संगठन का रूप संवारा, अनुशासन का रूप निखारा तुलसी सबका बना सहारा, जीवन को अभिमान दिया है।।
संगठन को त्राण दिया है... 'संघे शक्ति : कलौ युगे' है। 7. प्रेक्षा प्रांगण में जो आया, उसने अपना मूल्य बढ़ाया 'महाप्रज्ञ' जन-मन हरषाया, भिक्षु भक्ति संगान किया है।।
संगठन को त्राण दिया है...
लय : जीवन हम आदर्श बनाएं संदर्भ : आचार्य भिक्षु चरमोत्सव, अहमदाबाद, भाद्रव शुक्ला 13, विक्रम संवत् 2059
18चैत्य
जग जाए
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