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(13) भीखण का दर्शन पाएगा, वह उलझन को सुलझाएगा। निष्ठा को जो पढ़ पाएगा, वह भिक्षु-शिष्य कहलाएगा।।
भीखण का दर्शन... 1. निष्ठा जागृति की वह रेखा, दृष्टांत हेम मुनि का देखा। अब्रह्म-गणित का वह लेखा, जो आत्मा तक पहुंचाएगा।
भीखण का दर्शन. मुनि खेतसी2. स्वामी ! अब स्वर्ग सिधाओगे, रुचिकर सुख में रम जाओगे। क्या हम सबको विसराओगे, दर्शन को मन ललचाएगा।
__ भीखण का दर्शन.. आचार्य भिक्षु3. पुद्गल-सुख बादल छाया है, यह मोह नृपति की माया है। मैंने परमारथ पाया है, मुझको ना स्वर्ग लुभाएगा।
भीखण का दर्शन.. 4. तुम भी यह वांछा मत करना, हमको है भवसागर तरना। ___ आगे शाश्वत-सुख का झरना, तम तो नीचे रह जाएगा।।
भीखण का दर्शन... 5. खेती अनाज पर निर्भर है, कड़बी अनाज की सहचर है। त्यों पुण्य धर्म का अनुचर है, धार्मिक ही लाभ कमाएगा।
भीखण का दर्शन... खेतसी को संबोध 6. मुनिवर को श्रीसंबोध मिला, अंतर-मानस का पुष्प खिला। __ आत्मा ही नभ है और इला, आवरण स्वयं हट जाएगा।
भीखण का दर्शन. 7. यह धर्म तत्त्व की पूर्ण कला, है शुक्ल पक्ष उजला-उजला।
सिरियारी में जो सत्य पला, वह 'महाप्रज्ञ' बतलाएगा। वट वृक्ष-तले जो सत्य पला, वह 'महाप्रज्ञ' बतलाएगा। तुलसी से जो मति बीज फला, वह 'महाप्रज्ञ' बतलाएगा।
भीखण का दर्शन...
लय : बन जोगी मन भटकाई नां. संदर्भ : आचार्य भिक्षु चरमोत्सव, बीदासर, भाद्रव शुक्ला 13, वि.सं. 2058, 31 अगस्त, 2001
रुष जग जाए
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