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(10) धर्म की परिभाषा,
केवल अक्षर चार, धर्म की परिभाषा । सत्य स्वयं साकार, धर्म की परिभाषा ।।
1. त्याग धर्म सिद्धान्त निराला, उलझन को सुलझाने वाला । है विवेक ही दिव्य उजाला, मिला नया उपहार । ।
2. आक, गाय का दूध अलग है, नाम एक है तत्त्व अलग है । रंग एक है सत्व अलग है, आभारी संसार । ।
3. धूप-छांव से सटी हुई है, छांह प्रकृति से शीत रही है। और धूप में ठंड नहीं है, एक नहीं आधार ।। 4. गुरु तुलसी ने शीस चढ़ाया, समाधान तब युग ने पाया । गीत अनूठा सस्वर गाया, जुड़ा सत्य से 5. वर्ण, जाति का भेद न जिसमें, लिंग, रंग का छेद न निर्धन- धनिक विभेद न जिसमें है समता
तार । ।
जिसमें ।
ही सार । ।
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6. संघ नाम है अनुशासन का महाग्रंथ
उत्तम जीवन
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7. कितना है उपकार भिक्षु का, शाश्वत है आलोक भिक्षु का । 'महाप्रज्ञ' आभार भिक्षु का, शहर सुखद सरदार ।।
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निग्रह होता तन का मन का । का, शासन का श्रृंगार ।।
लय : तोता उड़ जाना...
संदर्भ : भिक्षु चरमोत्सव वि.सं. 2055
सरदारशहर, भाद्रव शुक्ला 13,
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चैत्य पुरुष जग जाए
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