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________________ प्रमाणित होती हैं, बल्कि व्यक्ति के अहित और अनिष्ट का कारण भी बनती हैं। (३१) • यदि वर्तमान शुद्ध है, स्वस्थ है तो भविष्य/परलोक के बिगड़ने का कोई प्रश्न ही पैदा नहीं होता। (३२) • अतीत तो प्रेरणा लेने के लिए होता है। उससे प्रेरणा लेकर अपने वर्तमान का निर्माण और विकास करना ही व्यक्ति के कर्तृत्व एवं विवेक की कसौटी है। (३३) प्रकृति में जो सहज सौंदर्य होता है, वह विकृति में कहां? (४७) • किसी राष्ट्र की सबसे बड़ी संपत्ति उसके नीतिनिष्ठ, संयमशील और चरित्रवान नागरिक होते हैं। (५५,५६) • राष्ट्र के नागरिकों का सच्चरित्र और नीति-निष्ठा उसकी सबसे बड़ी शक्ति होती है। (५६) • संयम ही वह तत्त्व है, जो वृत्तियों को सुसंस्कृत बनाने में सक्षम है। (६०) • धर्म जीवन-शुद्धि का एकमात्र मार्ग है। (६३,६४) • मोक्ष किसी की कृपा या अनुग्रह का फल नहीं है। वह तो आत्मा के अपने प्रयत्न एवं पुरुषार्थ से ही साध्य बनता है। (६५) • हिंसा और युद्ध किसी समस्या का स्थायी समाधान नहीं है। (६८) • मनुष्य-जाति को यदि सुख से जीना है तो उसे हिंसा और युद्ध का मार्ग छोड़कर अहिंसा का मार्ग स्वीकार करना होगा। (६८) • धार्मिकता की मूल कसौटी आचार-शुद्धि है। पूजा-उपासना तो गौण बात है। वह आचार-शुद्धि के साथ ही उपयोगी बनती है। (७०) पूजा-उपासना वही उपयोगी और महत्त्वपूर्ण है, जो व्यक्ति के लिए आचार-शुद्धि की प्रेरणा बने। (७०) • यदि पढ़ा हुआ ज्ञान आचरण में नहीं ढलता है तो उसकी कोई सार्थकता प्रकट नहीं होती। (८२) • आर्यत्व की वास्तविक कसौटी धार्मिकता है, क्षेत्र नहीं। (८८) • भोग व्यक्ति की दुर्बलता है और त्याग बल। (९३) .३७४ ज्योति जले : मुक्ति मिले Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003113
Book TitleJyoti Jale Mukti Mile
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2005
Total Pages404
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size13 MB
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