SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 362
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ नहीं। तभी मालूम होता है-इंकमटैक्स ऑफीसर आए हैं। सेठजी के होश गुम हो जाते हैं। हजार-हजार भगवानों को उठाए लेते हैं-'प्रभो! मुसीबत से निकालो, मैं तुम्हारा आभार मानूंगा।' यह क्या है? ऐसे कितने ही उपासक हैं, जो अपनी बुराई छिपाने के लिए भगवान के पास जाते हैं। कहने का तात्पर्य यह कि धनवान तो गरीब से भी ज्यादा दुखी हैं। उन्हें धनार्जन का दुःख है। उसके रक्षण का दुःख है। यदि रक्षण कर पाए तो भक्षण की चिंता है। एक ओर राजनीतिक नेताओं की धांधली है। वे मनमानी करते हैं। उनके प्रति आज श्रद्धा कहां है? सामाजिक नेताओं की तो बात ही छोड़ें। वे कहने भर के नेता हैं। आज उनकी धज्जियां उड़ रही हैं। कारण कि वे समाज के नेता नहीं, घर-भर नीति के पोषक हैं। सार-संक्षेप यह कि भारतीय लोक-जीवन की परिस्थितियां विकट हैं। तब सहज ही प्रश्न उठता है कि इनमें बदलाव कैसे आए। कानून से जीवन बदल नहीं सकता। जनार्दन के बदलने का मार्ग है हृदय-परिवर्तन। बिना हृदयपरिवर्तन के सही सुधार नहीं हो सकता। सबसे पहले वे लोग, जो स्थितियां जानते-पहचानते हैं, अपना जीवन जाग्रत करें, उसे अणुव्रत के सांचे में ढालें। वैसे यह परिवर्तन और सुधार की बात जन-जन से संबद्ध है। इसलिए अपेक्षा है कि जन-जन मेरी यह भावना समझे और अपनेआपको सुधारे। .३३८ ज्योति जले : मुक्ति मिले Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003113
Book TitleJyoti Jale Mukti Mile
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2005
Total Pages404
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size13 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy