SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 291
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १११ : जनता सही मार्ग-दर्शन की प्यासी है ___ मैं एक पदयात्री हूं। पदयात्रा मेरा जीवन-व्रत है। पदयात्रा के माध्यम से मेरा देश की जनता से सीधा संपर्क होता है। मैंने अपनी पदयात्राओं में यह बात गहराई से अनुभव की है कि जनता आज भी सच्चे उपदेशों की भूखी है, सही पथ-दर्शन की प्यासी है, बल्कि उसके अनुसार चलने के लिए समुद्यत है, पर कठिनाई यह है कि सच्चे उपदेशकों और सही मार्ग-दर्शकों का अकाल-सा पड़ गया है। इस कारण वह ठीक रास्ते पर नहीं चल पा रही है। यह कमी मुझे बहुत खटकती है, बहुत खलती है। मुझे यह बताने की कोई अपेक्षा नहीं कि यह भारतवर्ष है, जहां ऋषिमहर्षियों ने सदा जनता में सदुपदेश बांटा, उसे सही मार्ग दिखाया, बल्कि उसका पथिक बनाया और राष्ट्र का भविष्य संवारा। आज भारतवासी पथिक तो हैं, पर किस पथ पर उन्हें चलना चाहिए-इस बात से अनजान बने वे चल रहे हैं। ऐसी स्थिति में वे भटक जाते हैं। इसी का परिणाम है कि उन्हें न सुख मिल रहा है और न शांति ही। मैंने जन-जन के लिए जिस मार्ग का निर्माण किया है और जिस पर चलने की मैं यत्र-तत्र-सर्वत्र प्रेरणा करता हूं, वह है-अणुव्रत-आंदोलन। यह एक ऐसा मार्ग है, जिस पर चलने से व्यक्ति का जीवन सुव्यवस्थित एवं स्वस्थ बनता है। वह आपने जीवन में सुख और शांति की अनुभूति करता है। अणुव्रत-आंदोलन जन-जन में व्याप्त बुराइयों पर सीधा प्रहार करता है। जहां इससे एक तरफ व्यक्ति का जीवन नैतिकता, प्रामाणिकता, ईमानदारी-जैसे मनवोचित गुणों से भावित होता है, वहीं दूसरी ओर समाज का वातावरण भी स्वस्थ बनता है, राष्ट्र का भविष्य भी उज्ज्वल होता है। हजारों-हजारों लोगों ने इस पथ पर पदन्यास कर अपने जीवन को सही दिशा प्रदान की है, सुख और शांति की अनुभूति की है। लाखों-लाखों लोग इससे परिचित हुए हैं। आप भी इस पथ को जानें, समझें और इस पर चरणन्यास करें। मैं पूर्ण विश्वास के साथ कह सकता हूं कि यह जनता सही मार्ग-दर्शन की प्यासी है • २६७. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003113
Book TitleJyoti Jale Mukti Mile
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2005
Total Pages404
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size13 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy