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________________ १०८ : अणुव्रत जीवन के हर क्षेत्र में व्याप्त है युग की बड़ी त्रासदी आज चारों ओर राष्ट्र के उत्थान की चर्चा है। विभिन्न स्तरों पर इस उद्देश्य से कार्य योजनाएं भी बन रही हैं। इस संदर्भ में मेरा व्यक्तिगत चिंतन यह है कि जब तक जन-जन के मन में त्याग और संयम के प्रति निष्ठा नहीं जागेगी, बुराइयों के प्रति सामूहिक रूप में घृणा नहीं पैदा होगी, तब तक हजार कार्य-योजनाएं भी देश का उत्थान नहीं कर सकतीं। पर घृणा मात्र बुराई के प्रति होनी चाहिए, बुरे आदमी के प्रति नहीं, क्योंकि बुराई कभी सुधर नहीं सकती, वह अच्छाई नहीं बन सकती, जबकि बुरा आदमी सुधरकर अच्छा आदमी बन सकता है। आज के युग की सबसे बड़ी त्रासदी यह है कि लोगों ने बुराई को बुराई मानना भी छोड़ दिया है। राष्ट्र में बन रही अनैतिकता की विकट स्थिति का मूल कारण यही है । अणुव्रत आंदोलन ने एक दशक की स्वल्प अवधि में एक प्रयत्न किया है और उसके फलस्वरूप व्यक्ति-व्यक्ति के कानों तक एक आवाज पहुंची है, जन-जन के हृदय में एक जाग्रति फैली है । लोग बुराई को बुराई मानने का साहस करने लगे हैं। मैं इसे आंदोलन की एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि मानता हूं। अणुव्रती कौन - अणुव्रत आंदोलन एक व्यापक कार्यक्रम है। यह जीवन के हर क्षेत्र में व्याप्त है। व्यापारी व्यापार क्षेत्र में रहते हुए मिलावट व ब्लैकमार्केटिंग न करें, राज्यकर्मचारी अपना कार्य करते हुए रिश्वत न लें, मिल-मालिक अर्थार्जन के नशे में पागल बन श्रमिकों का शोषण न करें, श्रमिक लोग कम श्रम करके अधिक वेतन पाने की आकांक्षा न रखें, छात्र परीक्षा में उत्तीर्ण होने के लिए अवैधानिक तरीकों का उपयोग न करें तथा तोड़फोड़मूलक हिंसात्मक प्रवृत्तियों में भाग न लें तो मानना • २६० ज्योति जले: मुक्ति मिले Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003113
Book TitleJyoti Jale Mukti Mile
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2005
Total Pages404
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size13 MB
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