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________________ ९० : पद्म लेश्या का अधिकारी कौन शुभ लेश्याओं की श्रेणी में पद्म लेश्या का दूसरा स्थान है। पद्म श्रेष्ठता और गौरव का प्रतीक है। शायद इसी करण भारत सरकार ने सम्मानस्वरूप दिए जानेवाले पदकों के नाम पद्मश्री, पद्मभूषण व पद्मविभूषण रखे हैं, पर ध्यान रखें, पद्मश्री, पद्मभूषण एवं पद्मविभूषण के सम्मान या पदक पाना फिर भी उतना कठिन नहीं है, जितना कठिन पद्म लेश्या का पदक पाना है। कौन होता है पद्म लेश्या का अधिकारी ? पद्म लेश्या का अधिकारी होता है-मंदकषायी। यानी जो क्रोध के आवेश में अंधा नहीं है, मान के मदोन्मत्त हाथी पर आरूढ़ नहीं है, माया की टेढ़ी-मेढ़ी सीढ़ी पर नहीं चढ़ता है, लोभ की लपटों में झुलसता नहीं है, वह पद्म लेश्या का अधिकारी है। जो प्रशांतचित्त है, अर्थात जिसका चित्त प्रशांत है, विषम/प्रतिकूल परिस्थितियों में जो शांत और संतुलित रहता है, सुखदुःख, लाभ-अलाभ, सम्मान-अपमान की हर स्थिति समता से सहन करता है, वह पद्मलेश्या का अधिकारी है। मैं देख रहा हूं, आज समाज में अर्थ के प्रति आकर्षण का भाव बढ़ रहा है। इसका कारण लोभ है। लोभ के वशीभूत हुआ व्यक्ति अर्थार्जन के साधन की शुद्धि पर भी ध्यान नहीं दे पाता। उसकी दृष्टि संकीर्ण हो जाती है। वह सदा अपने से अधिक समृद्धिवान और संपन्न व्यक्तियों को ही देखता है और येन केन प्रकारेण उनकी श्रेणी में आने के लिए, उनसे आगे निकलने के लिए प्रयत्नशील रहता है, पर जो व्यक्ति निर्लोभ होता है, संतोषी होता है, उसकी दृष्टि अपने से पीछे खड़े लोगों को देखती है, दरिद्र और साधन विहीन लोगों पर केंद्रित होती है । वह इस भाषा में सोचता है कि मुझसे से विपन्न, भूखे और साधनहीन लोग बड़ी संख्या में समाज में हैं, फिर में अधिक संग्रह क्यों करूं। यह संतोष की वृत्ति उसके अर्थार्जन के साधनों को गलत बनने से बचाती पद्म लेश्या का अधिकारी कौन २२१ • Jain Education International - For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003113
Book TitleJyoti Jale Mukti Mile
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2005
Total Pages404
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size13 MB
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