SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 22
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ८४. लेश्या : एक विवेचन ८५. जैन- एकता का पथ ८६. भारतीय संस्कृति का लक्ष्य : चरित्र - विकास ८७. अणुव्रत आंदोलन : एक नैतिक अभियान ८८. तेजः लेश्या के लक्षण ८९. धर्मनिष्ठ की पहचान ९०. पद्मलेश्या का अधिकारी कौन ९१. शुक्ललेश्या की परिणति ९२. सुख-दुःख समभाव से सहें ९३. शांति का मार्ग ९४. संस्कृत और संस्कृति ९५. भौतिकता से अध्यात्म की ओर मुड़ें ९६. मानव अपनी पहचान करे ९७. अंतर्मुखी बनने का दिन ९८. एक दिव्य महापुरुष : आचार्य भिक्षु ९९. विधायकों के लिए आचार संहिता बने १००. अहिंसा व्यवहार में आए १०१. अणुव्रत आंदोलन अपने ध्येय में सफल है १०२. कर्तव्य - पूर्ति के लिए नया मोड़ आवश्यक १०३. अणुव्रती धार्मिक जीवन का उदाहरण उपस्थित करें १०४. प्रतिलेखन का दिन १०५. दीक्षा : क्या : क्यों १०६. महिलाएं अपनी शक्ति पहचानें १०७. चरित्र-शुद्धि का अभियान आगे बढ़ाएं १०८. अणुव्रत जीवन के हर क्षेत्र में व्याप्त है १०९. सत्य धर्म को पहचानें ११०. जीवन - उत्थान का आधार १११. जनता सही मार्ग-दर्शन की प्यासी है ११२. व्यापारी सत्य के प्रति दृढ़निष्ठ बनें ११३. आज का युग और धर्म Jain Education International बीस For Private & Personal Use Only २०१ २०४ २०९ २१४ २१७ २१९ २२१ २२३ २२५ २२७ २२९ २३१ २३२ २३४ २३६ २३८ २४० २४२ २४५ २४९ २५१ २५३ २५६ २५८ २६० २६२ २६५ २६७ २६९ २७१ www.jainelibrary.org
SR No.003113
Book TitleJyoti Jale Mukti Mile
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2005
Total Pages404
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size13 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy