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सोया मन जग जाए
और वाणी निक्कमे हो जाते हैं। हमारा सारा संपर्क इन्द्रियों के द्वारा स्थापित होता है। जैसे ही हम ‘सर्वेन्द्रिय संयम-मुद्रा' का प्रयोग करते हैं, आंखें और कान बंद हो जाते हैं। आंख बंद होने से दृश्य के साथ हमारा संबंध नहीं हो पाता और कान बंद होने से शब्द के साथ संपर्क टूट जाता है। हम अशब्द हो जाते हैं। नाक बंद होने से मस्तिष्क के कुछ भाग का संबंध विच्छिन्न हो जाता है। नाक और मस्तिष्क का गहरा संबंध है। मस्तिष्क का एक भाग है- एनिमल ब्रेन या आदि मस्तिष्क । इसका नाक से संबंध है। जब नाक के दोनों छिद्र बंद हो जाते हैं तब गंध से संपर्क टूट जाता है और इस स्थिति में मस्तिष्क से संबंध भी विच्छिन्न हो जाता है। होठ बंद होने का तात्पर्य है भाषा का निषेध। आंख, कान और नाम को बंद करने के लिए दो-दो अंगुलियां और होठ को बंद करने के लिए चार अंगुलियां, क्योंकि संपर्क का सशक्त माध्यम है भाषा। इससे अत्यधिक संपर्क स्थापित होते हैं।
‘सनेन्द्रिय संयम-मुद्रा' का यह स्वरूप है। दोनों हाथों की दस अंगुलियों हैं। दो अंगुलियों से दोनों आंखों को, दो अंगुलियों से दोनों कानों को, दो अंगुलियों से दोनों नासिका-छिद्रों को तथा चार अंगुलियों से होठ को बंद करना होता है। यह मुद्रा बाह्य जगत् के संपर्कों से बचा लेती है। जैसे ही यह मुद्रा की जाती है, सारा संपर्क छिन्न हो जाता है। पांच मिनिट का यह लघु प्रयोग व्यक्ति को अन्तर जगत् में ले जाता है। इस स्थिति में व्यक्ति अकेले में जीता है और वह समाज में रहते हुए भी अकेले में जीना संभव बना लेता है। ___ यह मुद्रा तनाव-विसर्जन में भी कारगर है। तनाव की अनेक परिभाषाएं हैं। तनाव का अर्थ है समाज में रहना, समाज में जीना नहीं। समाज में तो जीना ही है। समाज में रहना तनाव और समाज में न रहना तनाव-मुक्ति। इस नई जीवन शैली को अपना कर तनाव से बचा जा सकता है, मनोकायिक या विशुद्ध कायिक और मानसिक बीमारियों से बचा जा सकता है।
पुराने युग में संचार के माध्यम कम थे, मंद थे। जानकारियां कम होती थी, विलंब से होती थीं। घर में कोई घटना घटती, दूर वाले को उसका पता विलंब से मिलता था। आज संचार के माध्यम तीव्र हुए हैं। दुनिया के किसी भी कोने में जो घटित होता है, वह कुछ ही क्षणों में एक छोर से दूसरे छोर तक ज्ञात हो जाता है। यह आज के युग की विशेषता है, बड़ी उपलब्धि है। यह सबसे बड़ा संकट है। क्या आवश्यकता है इतनी जानकारियों की? कहां लूटपाट हुआ, कहां बलात्कार और कहां हिंसा हुई क्या आवश्यकता है कि इनकी जानकारी सबको हो। इन समाचारों ने समाज में विकृतियां फैलाई हैं, व्यक्ति को बुरा
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