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क्या जीवन-शैली को बदलना जरूरी है ?
245 यह संभव पक्ष है। सामाजिक जीवन को छुड़ाया नहीं जा सकता। कुछ लोग सोचते हैं, राजनीति बहुत गंदी है, राजनीति को छोड़ देना चाहिए। चुनाव में बहुत गंदगी आ गई है, चुनाव से दूर हट जाना चाहिए। यदि आप इस प्रकार छोड़ते चलेंगे तो शेष कया बचेगा? गंदगी कहां नहीं है ? राजनीति और चुनाव में गंदगी है तो क्या पारिवारिक जीवन में गंदगी नहीं है? क्या पड़ोसी के जीवन में गंदगी नहीं है? सर्वत्र है गंदगी। आदमी वह है जो गंदगी को साफ कर सके, हटा सके। दूर भागने से गंदगी मिटेगी नहीं। यदि आपमें श्रद्धा और आस्था है तो आप जिस क्षेत्र में हैं, वहां की गंदगी को साफ करने का प्रयत्न करें। यह है पुरुषार्थ का काम । ऐसा सोचना ही सही सोचना है।
आदमी समाज के बीच रहता है। वह अलग-थलग रह नहीं सकता। ऐसी कोई व्यवस्था नहीं की जा सकती कि व्यक्ति अकेला जी सके, तो फिर यह विकल्प शेष रहता है कि जीवन समाज में जीओ, पर अकेले रहना सीखो। यह बात बहुत अटपटी-सी लग सकती है कि समाज में जीओ, पर अकेले रहना सीखो। यह बात बहुत अटपटी-सी लग सकती है कि समाज में रहते हुए अकेला कैसे रहा जा सकता है? परिवार और समाज में रहना, नगर और गांव में रहना और फिर अकेला होकर रहना, कैसे संभव है? असंभव जैसा कुछ नहीं है। बहुत संभव है। आदमी अकेला होकर रह सकता है यदि उसका मनोबल और प्राण-ऊर्जा बढ़ जाए। वह यदि अपनी आन्तरिक क्षमता को विकसित कर लेता है, तब उसके लिए अकेला रहना सहज बन जाता है। जब तक यह विकास नहीं होता, तब तक अकेला रहना असंभव है।
व्यक्ति का बाह्य जगत् के साथ तीन माध्यमों से संबंध जुड़ता है। वे माध्यम हैं मन, विचार और भाषा। आदमी सामाजिक प्राणी है। समाज का निर्माण कौन करता है? हजार व्यक्ति मिलने मात्र से समाज नहीं बनता। भाषा समाज का निर्माण करती है। यदि भाषा नहीं होती तो समाज नहीं बनता। पशुओं का समाज नहीं है, क्योंकि उनमें भाषा नहीं है। आदमी में मन का विकास है, इसलिए समाज बना है। पशुओं में विकसित मन नहीं है, इसलिए उनका समाज नहीं है। आदमी ने विचारों का विकास किया है, इसीलिए समाज में रह रहा है। पशुओं में विचार का विकास नहीं है।
समाज के निर्माण के तीन घटक हैं मन, विचार और भाषा। किन्तु मन और भाषा तब तक काम नहीं करते, जब तक उनको इन्द्रियों का सहारा नहीं मिल जाता। इन्द्रियों के आधार पर ही ये काम करते हैं। मन और भाषा को कच्चा माल मिलता है इन्द्रियों से। यदि इन्द्रियां सप्लाई नहीं करती हैं तो मन
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