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प्राण और पर्याप्ति
215 रामायण का प्रसंग है। हनुमान अपने को कुछ भी नहीं समझते थे। अपने आपको केवल बंदर अनुभव करते थे। उस समय जामवंत ने हनुमान की शक्ति को जगाया और कहा, हनुमान! तुम मात्र बंदर नहीं हो। तुम्हारे भीतर बहुत बड़ी शक्ति है। हनुमान को शक्ति का भान कराया और हनुमान ने वह काम कर दिखाया जो असंभव-सा प्रतीत होता था। पर्वत को उठाने की शक्ति कहां से आई? लंका के समुद्र को पार करने की शक्ति कहां से आई? जामवंत ने हनुमान को शक्ति नहीं दी। शक्ति हनुमान में विद्यमान थी, किन्तु शक्ति का अवबोध नहीं था। जामवंत ने शक्ति का बोध कराया और हनुमान की आंखें खुल गई। शक्ति का विस्फोट हुआ और असंभव कार्य संभव बन गया।
शक्ति सबमें है। विस्फोट हो, यह प्रतीक्षा है। हर व्यक्ति में आत्म-साक्षात्कार की शक्ति है। गुरु का काम इतना ही है कि व्यक्ति को शक्ति का बोध करा दे। यह काम हो सकता है, पर सत्य की खोज स्वयं को ही करनी होती है। जब तक सत्य खोजने की बात नहीं आएगी, तब तक सत्य प्राप्त नहीं हो सकेगा। प्राण की शक्ति का नियोजन सत्य की खोज में हो, यह अपेक्षित है।
प्राण का अपव्यय अधिक होता है। सौ वर्ष की जीवनी शक्ति दस-बीस वर्षों में ही समाप्त कर दी जाती है। कुछ एक शरीरशास्त्रियों ने इस विषय का पर्यवेक्षण किया। अपनी रिपोर्ट में उन्होंने चौंकाने वाली बातें कहीं। उन्होंने लिखा-'हमारा हृदय जिन तत्त्वों से बना है उनमें तीन सौ वर्ष काम करने की क्षमता है। हमारी हड्डियां जिस मेटीरियल से बनी हैं, उनमें चार हजार वर्ष तक काम करने का सामर्थ्य है। हमारे फेफड़े में पन्द्रह सौ वर्ष काम करने की शक्ति है। गुर्दा तीन सौ वर्षों तक काम कर सकता है। इन आंकड़ों के आधार पर हम प्राचीन कल्पना को सत्यापित कर सकते हैं कि आदमी हजार वर्ष तक जीता था। रासायनिक विश्लेषण के आधार पर ये आंकड़े प्रस्तुत किए गए हैं। पर आज न कोई हजार वर्ष जी पाता है या चार सौ, तीन सौ वर्ष ही जी पाता है। बहुत सारे पचास-साठ या सत्तर-अस्सी के बीच चल बसते हैं। आखिर यह क्यों? अकाल मृत्यु क्यों होती है? पूरा जीवन संभवत: दो चार प्रतिशत लोग ही जी पाते हैं। शेष अकाल मौत से ही मरते है। अकाल मौत का अर्थ कोई दुर्घटना या एक्सीडेंट से होने वाली मौत नहीं है। अकाल मौत का अर्थ है कि असमय में ही प्राणशक्ति को चुका देना, समाप्त कर देना। लंबे समय तक काम करने वाले हमारे आरगन्स, जल्दी घिस जाते हैं अर्थात् उनकी विद्युत् या ऊर्जा कमजोर हो जाती है। अत: वे असमय में ही कार्य करना बन्द कर देते हैं। यह है असमय की
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