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समाज-व्यवस्था के सूत्र
अनुभव और दूसरा है ऋतुओं का अनुभव । मनःस्थिति के आधार पर मन में जो उतार-चढ़ाव आता है, इतना विचित्र और सूक्ष्म है कि उसको जानना भी कठिन होता है । आप एक दिन में आने वाले मनोभावों को लिखना प्रारम्भ करें। आश्चर्य होगा कि एक दिन-रात में दस हजार से अधिक उतार-चढ़ाव आप लिख लेंगे। हम कैसे पकड़ें मन को और उतार-चढ़ाव को ? यह इतना सूक्ष्म विज्ञान है कि इसे जानना कठिन है ।
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जो व्यक्ति मन के इन उतार-चढ़ावों और भावों को नहीं पकड़ पाता वह मनःस्थिति का पूरा परिष्कार नहीं कर पाता ।
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सूर्य की दो अवस्थाएँ हैं। वैसे ही हमारे मन की भी दो अवस्थाएँ हैं । सूर्य की उत्तरायण अवस्था उग्रता, तेजस्विता और दीप्ति की अवस्था होती है और उसकी दक्षिणायन अवस्था मंदता, जड़ता और शिथिलता की अवस्था होती है । इसी प्रकार मन की भी दो अवस्थाएँ होती हैं। एक है तेजस्वी अवस्था और दूसरी है शिथिल या मन्द अवस्था । मन में जब तपस्या करने की वृत्ति जागती है तो यह हमारे मन की उत्तरायण अवस्था है । और जब आलस्य, प्रमाद और नींद की वृत्ति जागती है तो यह हमारे मन की दक्षिणायन अवस्था है। मन का दक्षिणायन है रात और उत्तरायण है दिन । दिन में मन जितना सुप्त रहता है उतना शायद रात में नहीं
रहता ।
कर्मशास्त्र की दृष्टि से भी ऐसा माना गया है कि रात्रि में तामस परमाणुओं का योग मिलता है और तामसगुण प्रगट हो जाता है। दिन में राजसिक और सात्त्विक वृत्तियों के उभरने का अधिक अवसर प्राप्त होता है। यही तो काले और सफेद रंग में अन्तर होता है । काला रंग तमोगुण को बढ़ाता है और सफेद रंग सात्त्विक गुण को बढ़ाता है। सफेद रंग की प्रकृति है सात्त्विक और काले रंग की प्रकृति है तामसिक । न्यायाधीश और वकील काले रंग का कोट पहनते हैं। इसका कारण है कि दूसरों का प्रभाव उस रंग के भीतर नहीं जा सकता है। न्यायाधीश को कठोरतम दण्ड - आजीवन कारावास, फाँसी आदि देना होता है । काले रंग के कारण ही वह इतना कठोर दण्ड दे सकता है। सफेद रंग का कुर्ता पहनकर वह इतना कठोर दण्ड नहीं दे सकता। उसका हृदय काँप उठता है ।
मन का दक्षिणायन है रात का समय और उत्तरायण है दिन का समय । बड़ी सूक्ष्मता से हमें यह ज्ञात करना चाहिए कि मन का कौन-सा अयन चल रहा है और किस अयन में क्या-क्या हो सकता है ? दक्षिणायन में भिन्न प्रकार के परिणाम होते हैं। मन की अवस्थाएँ बदल जाती हैं। जब मनुष्य का मन दक्षिणायन में होता है तब चिन्तन एक प्रकार का होता है और जब मन उत्तरायण में होता है तो चिन्तन
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