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महावीर का पुनर्जन्म उसने जुआ खेलना भी शुरू कर दिया। वह बुरी आदतों में फंसता ही चला गया।
दूसरे भाई ने सोचा-पिताजी ने हजार मुद्राएं दी हैं। यह व्यापार का झंझट क्यों मोल लूं?
कुछ लोग कोई भी खतरा मोल लेना नहीं चाहते, सीधा जीवन बिताना चाहते हैं। ज्यादा झंझट और माथापच्ची उनके वश की बात नहीं होती।
उसने वे हजार मुद्राएं ब्याज में दे दी। जो ब्याज में आएगा, उसे खाऊंगा। पिताजी ने जो दिया है, वह सारा का सारा वापिस समर्पित कर दूंगा। किराए पर मकान लिया। ब्याज में उसका पूरा जीवन चल जाता। न कोई झंझट, न कोई उठा पटक। वह शांति के साथ अपने जीवन को बिताने लगा।
तीसरे भाई ने सोचा-पुत्र का कर्तव्य होता है कि उसे पिता से जितना मिले, उसे बढ़ाकर पिता को दे। सम्पत्ति की वृद्धि करना मेरा दायित्व है। पुत्र का काम होता है विकास करना। जैसे अपने शिष्य को आगे बढ़ते देख गुरु प्रसन्न होता है वैसे ही अपने पुत्र को विकास करते देख पिता प्रसन्न होता है। छोटे पुत्र ने एक बड़ी कल्पना के साथ व्यापार शुरू किया और ग्यारह वर्ष में उस नगर का सबसे बड़ा धनपति बन गया।
ग्यारह वर्ष बीत गए। बारहवां वर्ष चल रहा था। उसने सोचा-अब तो चलना होगा। दो-तीन माह रास्ते में लगेंगे। पिता के आदेश से तीनों भाई साथ-साथ आए। पिता का आदेश था, अतः तीनों भाई अलग-अलग रहे। अब तीनों को वापस साथ जाना है। उन दोनों का पता ही नहीं है कि वे कहां हैं। उनसे कैसे मिलूं! उसने एक उपाय ढूंढ निकाला। एक भोज का आयोजन किया। उसमें सब व्यापारियों को निमंत्रित किया। भोज में नगर के प्रतिष्ठित व्यापारी
आए। बड़े भाई मिल गए। वह बोला-भाई साहब! अब तो चलना होगा। बारह वर्ष बीत रहे हैं। कुछ माह रास्ते में लग जाएंगे। आराम का परिणाम
दोनों भाई मिल गए पर तीसरा नहीं मिला। उसने सोचा-तीसरा क्यों नहीं आया? उसने दूसरा उपाय सोचा तीसरे भाई को ढूंढने का। वह एक-एक वर्ग को भोजन पर आमंत्रित करने लगा। कभी स्वर्णकार वर्ग को बुलाया, कभी क्षत्रिय वर्ग को बुलाया और कभी किसी वर्ग को बुलाया। अनेक वर्ग आए, पर भाई नहीं मिला। आखिर एक वर्ग आया लकड़हारों का। उसमें तीसरा भाई भी आ गया। दोनों भाई उसकी दशा देखकर दंग रह गए। उसके पास सीधा जाना भी एक समस्या बन गया। भोजन कर सब जाने लगे। सेठ ने अपने कर्मचारी को भेजा। कर्मचारी ने तीसरे भाई से कहा-'आप रुक जाएं।' उसने कहा- 'मैंने कोई चोरी थोड़े ही की है।' कर्मचारी ने कहा-'सेठ साहब का हुक्म है, आपको रुकना होगा।' सब चले गए। दोनों भाई नीचे आए। उन्होंने कहा-'भाई! यह क्या हुआ है?'
छोटे भाइयों ने बड़े भाई को पहचान लिया पर बड़े भाई ने छोटे भाइयों को नहीं पहचाना। पैसा बढ़ता है तो आदमी की दशा भी बदल जाती है। Jain Education International
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