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महावीर का पुनर्जन्म
अज्ञानी को कष्ट होता है । जो जानता है, उसे कष्ट नहीं होता या बहुत कम होता है। दुःख होने का कारण है- नश्वर को अनश्वर मानना । जो व्यक्ति यह जान लेता है उसे दुःख नहीं होता। जब व्यक्ति में यह ज्ञान नहीं जागता तब वह पदार्थों को अपना मान लेता है, असली मान लेता है। वह उनके साथ जुड़ जाता है तो दुःख को रोक नहीं सकता। जब व्यक्ति असली आत्मा को नकली मान लेता है और नकली वस्तुओं को असली मान लेता है तब समस्या पैदा हो जाती है ।
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गांव का आदमी ट्रेन से सफर कर रहा था। हाथ में घी का डिब्बा था । उसने जंजीर पर उसे टांग दिया, गाड़ी रुक गई। टी. टी. आया और बोला- अरे ! यह क्या किया ? किसने यहां डिब्बा टांग दिया? गाड़ी को रोकना पड़ा। किसान बोला- यह डालडा घी का नहीं, देशी घी का चमत्कार है। उसकी यह बात सुनकर डिब्बे में बैठे सारे लोग हंस पड़े ।
जिसे ज्ञान नहीं होता, वह हंसी का पात्र बन जाता है। अज्ञान का अपनयन करने वाला व्यक्ति ही दुःखों से बच सकता है। यह सचाई जितनी स्पष्ट होगी, दुःख की संभावना समाप्त होती चली जाएगी।
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