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महावीर का पुनर्जन्म
बोला-'बहुत घाटा हो गया है। मुझे अभी अभी पांच हजार रुपयों की जरूरत है। यदि वे नहीं मिलते हैं तो मेरी प्रतिष्ठा को धक्का लग जाएगा।' चपरासी ने कहा-'आप चिन्ता मत कीजिए। मैं आपको पांच हजार रुपये ला देता हूं।' मालिक आश्चर्य से भर गया। उसने पूछा-'तुम्हारे पास इतने रुपये कहां से आए? मैं तुम्हे वेतन तो बहुत थोड़ा देता हूं।' चपरासी बोला-'जब आपका सिनेमा चलता है जब गेट के बाहर सिर-दर्द की गोलियां बेचता हूं। जो लोग सिनेमा देखकर बाहर निकलते हैं, वे सिर-दर्द से परेशान होते हैं। वे सिरदर्द की गोलियां लेते हैं तो उन्हें राहत मिल जाती है। मेरे पास जो रुपये जमा हुए हैं, वे सिर-दर्द की गोलियां बेचकर कमाए हुए हैं।'
यह लाल रंग और फिल्म में दिखाए जाने वाले उत्तेजक दृश्यों का परिणाम था। ये सारे पुद्गल हैं, जो हमें बहुत प्रभावित करते हैं। चैतसिक लेश्या
लेश्या का दूसरा पक्ष है चैतसिक लेश्या। भाव लेश्या चैतसिक लेश्या है। प्राणातिपात, मृषावाद आदि अठारह पाप, पांच आश्रव-ये सब भाव लेश्याएं हैं। इन सबमें रंग हैं। एक व्यक्ति झूठ बोलता है तो वैसा रंग बन जाता है। झूठ बोलने वाले व्यक्ति का आभामण्डल भी धुंधला बन जाता है। हमारा आभामण्डल बहुत स्वच्छ है किन्तु जो आदमी झूठ बोलता है, उसका आभामण्डल भद्दा बन जाता है। हम आचरण की बात छोड़ दें। मन में चोरी की भावना जाग गई, हिंसा की भावना जाग गई तो आभामण्डल मलिन बन जाएगा। झूठ या घृणा का भाव जागा तो आभामण्डल भी वैसा ही बन जाएगा। जैसी भावना जागती है, वैसा आभामण्डल बन जाता है। जैसा आभामण्डल बनता है वैसी ही भावना पैदा हो जाती है।
पौद्गलिक लेश्या (द्रव्य लेश्या) और चैतसिक लेश्या (भावलेश्या)-इन दोनों में गहरा संबंध है। जितने स्थान द्रव्य लेश्या के हैं उतने ही स्थान भाव लेश्या के हैं। जितने स्थान भाव लेश्या के हैं उतने ही स्थान द्रव्य लेश्या के हैं। द्रव्य लेश्या संक्लिष्ट होती है तो भाव लेश्या संक्लिष्ट हो जाती है। भाव लेश्या संक्लिष्ट होती है तो द्रव्य लेश्या संक्लिष्ट हो जाती है। भाव लेश्या विशुद्ध होती है तो द्रव्य लेश्या विशुद्ध हो जाती है। इन दोनों में गहरा संबंध है। हमें इन दोनों आयामों में जागरूक रहना होगा। हम रंग और आभामण्डल के प्रति भी जागरूक बनें और अपनी भावनाओं के प्रति भी जागरूक बनें। इन दोनों क्षेत्रों में जागरूकता बढ़ जाए तो जीवन में बहुत विकास किया जा सकता है। समस्या है लेश्याओं में मेल न होना
__ आदमी में तनाव बहुत है। वह अनेक प्रकार की चिन्ताओं से घिरा रहता है। वह कभी उदास हो जाता है। उसे वातावरण में रूखापन महसूस होता है। जीवन में सरसता नहीं रहती। इस स्थिति में दूसरे व्यक्ति के प्रति आकर्षण का भाव पैदा नहीं होता। कारण क्या है? इसका कारण है-लेश्याओं का मेल न होना। दो व्यक्ति हैं, दोनों को साथ में रहना है। दोनों की लेश्याओं में मेल नहीं
है तो साथ कैसे निभेगा? एक पूरब में जाएगा तो दूसरा दक्षिण में जाएगा। शादी Jain Education International For Private & Personal Use Only
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