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महावीर का पुनर्जन्म
उपयोगी होता है। जहां ज्यादा भार उठाना है, सामान से भरी बोरियों को उठाना है वहां लाल रंग का मूल्य है। यदि मकान का रंग लाल है, दुकान और गोदाम का रंग लाल है तो मजूदर ज्यादा भार को भी आसानी से उठा लेंगे। उनकी भार उठाने की क्षमता बढ़ जाएगी। यदि उनका रंग नीला है तो मजदूर सुस्त बन जाएंगे, थोड़ा भार उठाने में भी उन्हें परेशानी होगी। उनकी भार उठाने की क्षमता कम हो जाएगी।
यह लेश्या का सिद्धान्त जीवन से जुड़ा हुआ सिद्धान्त है। हमारे जीवन की सफलता या असफलता में बहुत बड़ा कारण है। हम इसे समझ कर अपने जीवन को सफलता की दिशा में ले जा सकते हैं, अपने व्यक्तित्व को उन्नत और प्रभावी बना सकते हैं, अपने चिन्तन को स्वस्थ और शक्तिशाली बना सकते हैं। लेश्या : तीन प्रकार
लेश्या के तीन प्रकार है-कर्मलेश्या, नो-कर्मलेश्या और भावलेश्या। दूसरी भाषा में कहें तो लेश्या के दो प्रकार है-पौद्गलिक लेश्या और चैतसिक या आत्मिक लेश्या। पौद्गलिक लेश्या के दो प्रकार हैं-कर्मलेश्या और नो-कर्मलेश्या। उत्तराध्ययन के लेश्याध्ययन के प्रारंभ में ही छह कर्मलेश्याओं का उल्लेख है
लेसज्झयणं पवक्खामि आणुपुर्दिव जहक्कम। छण्हं पि कम्मलेसाणं, अणुभावे सुणेह मे।।
कर्म बंधन के साथ लेश्या का गहरा संबंध है। लेश्या संक्लिश्यमान होती है तो अशुभ कर्म का बंध होता है। लेश्या विशुद्ध्यमान होती है तो शुभ कर्म का बंध होता है और क्षयोपशम बढ़ता है। एक लेश्या हमारे शरीर के साथ निरन्तर चल रही है, आभामण्डल चल रहा है और कर्म को ग्रहण करते समय लेश्या वर्गणा के पुद्गल हमारे साथ निरन्तर काम कर रहे हैं। यह कर्म लेश्या है। से एक है नो-कर्मलेश्या। यह जो सूरज का प्रकाश है, वह नो-कर्मलेश्या है। जीवन के साथ उसका गहरा संबंध है। जहां सूरज का प्रकाश है, वहां जीवन है। जहां सूरज का प्रकाश नहीं है वहां जीवन नहीं है। हमारी दुनिया का जीवन सूर्य के आधार पर चल रहा है। अगर सूर्य का प्रकाश बंद हो जाए तो पाचन-तंत्र बिगड़ जाए। जब दिन-भर आकाश बादलों से घिरा रहता है तब आदमी का पाचन-तंत्र गड़बड़ा जाता है, पाचन शक्ति कमजोर हो जाती है। पांच-सात दिन तक सूरज न दीखे और आदमी खाता ही चला जाए तो वह बीमार पड़ जाए। रात्रिभोजन के निषेध का एक कारण जीव हिंसा की दृष्टि रही है। उसका दूसरा कारण सूरज के अस्त होने पर पाचन तंत्र का मंद हो जाना है। आचार्य हेमचन्द्र ने योगशास्त्र में लिखा-'सूर्य के अस्त हो जाने पर हृदय कमल संकुचित हो जाता है, पाचन-तंत्र भी संकुचित हो जाता है, रक्त-संचार भी धीमा पड़ जाता
शरीर में जितना दर्द होता है, उसका पता दिन में कम चलता है, रात्री में अधिक चलता है। रात आते ही घुटनों का दर्द बढ़ जाएगा, पीठ और गर्दन का दर्द बढ़ जाएगा। प्रश्न हो जाता है-सारे दर्द रात में ही अधिक क्यों सताते
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