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________________ लेश्या और रंग ५०३ लचीला होना सीखा ही नहीं था। दोनों एकान्त आग्रह पर अड़ गए। हिरण किसके बाण से मरा? इसका निपटारा कौन करे? दोनों सगे भाई, दोनों में बड़ा प्रेम किन्तु इस एक गत ने दोनों को आमने-सामने खड़ा कर दिया। ऐसा लगता है-उस समय दोनों कृष्ण लेश्या मे परिणामों में चले गए। दोनों ने शस्त्र निकाल लिए और एक-दूसरे को मारने के लिए कटिबद्ध बन गए। मेवाड़ का राजपुरोहित दोनों राजकुमारों के साथ था। उसने देखा-अनर्थ हो रहा है। दोनों शक्तिशाली हैं, शस्त्रों से सज्जित हैं। दोनों ओर से एक साथ प्रहार होगा, दोनों अकाल मौत मर जाएंगे। मेवाड़ पर मुसीबत का पहाड़ टूट पड़ेगा। राजपुरोहित उन दोनों में बीच-बचाव करने के लिए आगे आया। उसने कहा-‘राजकुमारो! आप क्या कर रहें हैं? मेवाड़ की धरती शत्रुओं से घिरी हुई है, चारों ओर से कठिनाइया प्रस्तुत हो रही हैं। शत्रु घात लगाए बैठे हैं। आप लोग ऐसा करेंगे तो मेवाड़ का क्या होगा? हमारी स्वतत्रंता का क्या होगा?' राजपुरोहित ने बहुत समझाया पर दोनों राजकुमार अपनी बात से हटने के लिए तैयार नहीं हुए। जब तवा गर्म होता है तब उस पर पानी की जो बूंदें गिरती हैं, उनका कोई विशेष असर नहीं होता। राजकुमारों का अपरिवर्तित मानस राजपुरोहित के लिए चिन्ता का विषय बन गया। बदलने के लिए लेश्या का परिवर्तन जरूरी है। यह एक तथ्य है-जब-जब किसी व्यक्ति ने अनशन या सत्याग्रह किया है तब-तब लेश्या का परिर्वतन हुआ है। वह इतनी बड़ी घटना होती है कि व्यक्ति बदल जाता है, उसकी लेश्या बदल जाती है, रंग बदल जाता है और सामने वाले व्यक्ति का हृदय भी बदल जाता है। कभी-कभी क्रूर आदमी का हृदय भी पसीज जाता है। ऐसे व्यक्ति, जिन्होंने कभी हिन्दुस्तान न छोड़ने की बात कही थी, जो हिन्दुस्तान को छोड़ना नहीं चाहते थे, वे भी पसीज गए, हिन्दुस्तान स्वतंत्र हो गया। जब बड़ी घटना घटती है, लेश्या बदल जाती है, स्थिति में बदलाव आ जाता है। राजपुरोहित ने सोचा-ऐसे काम नहीं होगा। उसमें आत्मोत्सर्ग का भाव प्रबल बन गया-'यदि आप मारना ही चाहते हैं तो मुझे मार दें। यदि मारने से ही संतोष मिले तो मैं आपके सामने प्रस्तुत हूं।' इतना कहने पर भी राजकुमारों का रोष शान्त नहीं हुआ। राजपुरोहित एक कदम आगे बढ़ा--उसने कटार निकाली और अपनी छाती में भौंक ली। राजपुरोहित का बलिदान देखकर दोनों कुमार स्तब्ध रह गए। महाराणा प्रताप और शक्तिसिंह का हृदय बदल गया, दोनों भाई शान्त हो गए। अपेक्षित है प्रयोग एक घटना का इतना प्रभाव होता है कि व्यक्ति बदल जाता है। किसी बड़े परिवर्तन के लिए बड़ी घटना का होना जरूरी है, बड़े त्याग या बलिदान का होना जरूरी है। लेश्या का परिवर्तन भी कुछ ऐसा ही होता है। बड़ी बात या बड़ी घटना सामने आती है, आदमी बदल जाता है, कृष्ण लेश्या शुक्ल लेश्या में परिणत हो जाती है। लेश्या बदली, भाव बदला और आदमी बदल गया। लेश्या नहीं बदली तो कुछ भी नहीं बदला। रंगों के द्वारा लेश्या का परिवर्तन होता है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003109
Book TitleMahavira ka Punarjanma
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year
Total Pages554
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size11 MB
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