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क्या कुंजी पास में है?
संयोजक ने उसे फिर लताड़ा-'तुम बीच में बाधा क्यों डालते हो? जब तुम्हारा नंबर आए तब अपनी बात कहना। अभी तुम्हारी बात नहीं सुनी जाएगी।
संयोजक की डांट सुन चपरासी सहम कर मौन हो गया। चढ़ते-चढ़ते वे अड़चासवीं मंजिल पर पहुंच गए। सिर्फ दो मंजिल शेष रही। संयोजक ने कहा-'अब तुम्हारा नंबर है। बोलो, कौनसी कहानी कहना चाहते हो।'
चपरासी ने कहा-'महाशय! मुझे तो कोई कहानी नहीं कहनी है।' "तो फिर बार-बार बीच में क्यों बोल रहे थे।'
चपरासी ने विनम्रता से कहा-'जिस आफिस में हमें जाना है, उसकी चाबी नीचे कार में ही रह गई है।'
___ आप कल्पना करें-पचासवीं मंजिल पर आफिस है, लिफ्ट खराब है। आप सीढ़िया चढ़ रहे हैं और अड़चासवीं मंजिल पर पता चलता है-चाबी कार में नीचे रह गई है। इस अवस्था में क्या बीतता होगा? कितना दुःख होता होगा? इसे या तो व्यक्ति स्वयं जानता है या भगवान!
जब चाबी हाथ में नहीं होती है तब सचमुच मुसीबत होती है।
पहला विकल्प है कुंजी या चाबी की उपलब्धि। दूसरा विकल्प है-व्यक्ति चाबी घुमाना जानता है या नहीं। ताला खोलना जानता है या नहीं। ताला खोलने के लिए श्रम करता है या नहीं। दुनिया में ऐसे लोगों की कमी नहीं है, जो सब कुछ पास होते हुए भी आलसी बने रहते हैं। कैसे हैं आलसी?
घुड़सवार जा रहा था। आम के पेड़ के नीचे दो व्यक्ति लेटे हुए थे। एक व्यक्ति ने कहा-'अरे भाई! जरा इधर आओ। कुछ जरूरी काम है।' घुड़सवार घोड़े से नीचे उतरा। उनके पास आकर बोला-'बोलो, भाई! क्या काम है?'
"भाई! काम यह है-'यह पका हुआ आम पेड़ से सीधा मेरी छाती पर गिर गया है। तुम इसे उठाकर मेरे मुंह में निचोड़ दो, जिससे मेरी भूख और प्यास तृप्त हो जाए।'
घुड़सवार यह सुन अवाक रह गया। उसने कहा-'मूर्ख! तुम इतने आलसी हो! तुम्हारे पास हाथ है, आम भी है। उठा लो और चूस लो। मैं यह नहीं कर सकता।'
यह सनकर पास बैठा व्यक्ति बोल उठा-'महाशय! यह इतना आलसी है कि पूछिए ही मत। रात की ही घटना है। हम दोनों सोए हुए थे। एक कुत्ता आया और मेरा मुंह चाटने लगा। मैंने इसे अनेक बार कहा-तुम इस मासूम कुत्ते को हटाओ पर इसने उसको बिल्कुल नहीं हटाया। तुम इसे क्या सीख दे रहे हो?'
घुड़सवार ने सोचा-दुनिया में न जाने कैसे लोग हैं। कुत्ता मुंह चाटे तो अपने आप हटाया नहीं जा सकता और आम का फल छाती पर गिर जाए तो
अपने आप चूसा नहीं जा सकता। Jain Education International
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