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मोम के दांत और लोहे के चने
अपरिग्रही हो जाते हैं फिर भी अहंकार का नाग समय-समय पर फुफकारने लग जाता है । संप्रदायों में जो बहुत सारे अलगाव आए हैं, जो पद-लोलुपता की समस्या बढ़ी है, उसके पीछे अहंकार ही मुख्य कारण है । विनम्र होना और अहंकार का विसर्जन करना शायद कठिनतम काम है ।
माता-पिता ने मृगापुत्र के अहंकार को उभारा - 'तुम कौन हो पुत्र ? तुम राजकुमार हो । कितना वैभव है तुम्हारे पास ! क्या तुम भीख मांगते फिरोगे?” मृगापुत्र का उत्तर
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मृगापुत्र ने इन बातों को गम्भीरता से सुना । माता-पिता ने सोचा - अंगुली घाव पर टिकी है, कुमार अपना मन बदल लेगा किन्तु कुमार का मन विचलित नहीं हुआ । मृगापुत्र बोला- 'तात! मुझे कोई कठिनाई नहीं है। मैंने सत्य का साक्षात्कार कर लिया है ।'
'क्या इतना सरल है सत्य का साक्षात्कार?"
" आप कैसी बात कर रहे हैं? आप सिर्फ मुझे देख रहे हैं, राज्य को देख रहे हैं, किन्तु मैं सारे चक्र को देख रहा हूं।'
'कौन सा चक्र?"
'आपको पता है कि मैं पहले जन्म में क्या था? उससे पहले क्या था? और उससे पहले क्या था?"
जब व्यक्ति अपने पूर्वजन्मों का साक्षात्कार करता है, उस समय सारी मनोदशा बदल जाती है। वह व्यक्ति सोच ही नहीं सकता, जिसने अपने पूर्व जन्म का साक्षात्कार नहीं किया है। जब उसके सामने सचाइयां आती हैं तब क्या होता है, कुछ कहा नहीं जा सकता । इन वर्षों में कुछ व्यक्तियों के पूर्व-ज - जन्म के साक्षात्कार की बातें सुनी। व्यक्ति उन्हें सुनकर अवाक् रह जाए। किस प्रकार व्यक्ति अपने जीवन के चक्र में क्या-क्या करता रहता है, कहा नहीं जा सकता, सोचा नहीं जा सकता। ऐसी घटनाएं सामने आई हैं, जिन पर विश्वास भी न किया जा सके और अविश्वास करना भी ठीक नहीं है। वस्तुतः जब जीवन का चक्र चलता है और साक्षात्कार होता है, तब जो स्थितियां बनती हैं, व्यक्ति की दुनिया ही बदल जाती है।
माता-पिता दूसरी दुनिया की बात कर रहे हैं, वे एक दुनिया की बात कर रहे हैं और मृगापुत्र के सामने न जाने कितनी दुनिया के चित्र साक्षात् आ जा रहे हैं 1
नीरस है साधुपन
मृगापुत्र बोला- ' मात! तात! आपको बड़ा कष्ट हो रहा है मेरे कारण । आप मुझे समझाने का प्रयत्न कर रहे हैं पर मेरी अक्षमता यह है कि आप चाहे जितना श्रम करें, वह सफल नहीं होगा । अब मैं इस राज्य की भूमिका में नहीं हूं। मैं दूसरी भूमिका में चला गया हूं। मेरे लिए न तो भिक्षा मांगना कठिन है, न कुछ और करना कठिन है । अहंकार का वलय टूट चुका है । सांप की केंचुली मेरे लिए कोई काम की नहीं रही है।'.
यह कवच और
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