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जहां एक भी क्षण आराम नहीं मिलता
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देहस्थाः मानवाः केचित्, केचिदात्मस्थिताः जनाः।
आचारे व्यवहारे च, भेदस्तेषामतो भवेत् ।। जहां हम सबको एक दृष्टि से देखते हैं, वहां समस्या और संकट पैदा होते हैं। जब दो प्रकार के लोगों को दो प्रकार की श्रेणियों में बांट दिया जाता है तब कोई आश्चर्य नहीं होता।' राग : विराग
जब तक विषयों में राग रहेगा, संयम से राग नहीं होगा। संयम से राग का अर्थ है-विषयों से विराग। विषयों में राग का अर्थ है-संयम से विराग। जब तक मृगापुत्र को जातिस्मृति नहीं हुई तब तक उसका विषयों से राग बना रहा। जैसे ही जाति स्मृति हुई, उसकी चेतना बदल गई। जब तक वह शरीर में बैठा था, विषयों के प्रति आकर्षण था। जाति स्मृति ज्ञान हुआ, वह आत्मा में अवस्थित हो गया, उसकी स्थिति बदल गई। उसकी विषयों में आसक्ति नहीं रही, वह संयम में अनुरक्त हो गया। उसने माता-पिता के पास पहुंच कर अपनी भावना अभिव्यक्त की-'मात-तात! मैंने पांच महाव्रतों को सुना है, मैं मुनि धर्म को जानता हूं। मैं संसार समुद्र से विरक्त हो गया हूं। मैं प्रव्रजित होकर मुनि बनूंगा। आप मुझे अनुज्ञा दें
सुयाणि मे पंच महव्वयाणि, नरएसु दुक्खं च तिरिक्खजोणिसु। निविण्णकामो मि महण्णवाओ, अणुजाणह पव्वइस्सामि अम्मो।।'
माता-पिता यह सुनकर अवाक् रह गए। उन्होंने सोचा-यह क्या हो गया? इतने दिन कभी यह स्वर नहीं सुना। आज अचानक ऐसे कैसे बोल रहा है? वे कुछ बोल ही नहीं पाए। ऐसा लगा-आशाओं पर तुषारापात हो गया है। पूरे वातावरण में सन्नाटा छा गया।
मृगापुत्र बोला-'आपको यह सुनकर आश्चर्य हो रहा होगा। मैं संयम क्यों लेना चाहता हूं? आप देखें-हम शरीर में डूबे हुए हैं, यह सबसे बड़ी अविद्या है। जो यह जान लेता है-मैं शरीर नहीं हूं, चैतन्यमय आत्मा हूं, उसे सारी विद्याएं उपलब्ध हो जाती हैं।'
जिस क्षण यह अनुभूति होती है-मैं शरीर नहीं हूं, उसी क्षण अविद्यावान् विद्यावान् बन जाता है। एक क्षण में अनपढ़ आदमी विद्वान बन जाता है। न बहुत समय तक पढ़ने की जरूरत है, न कुछ और करने की आवश्यकता है। मैं शरीर हूं, यह अनुभूति इस रूप में बदल जाए-मैं शरीर नहीं
वैराग्य का कारण
मृगापुत्र शरीर से हटकर आत्मा की अनुभूति में उतर चुका था। उसका सारा दृष्टिकोण बदल गया। अपने वैराग्य के कारणों को प्रस्तुत करते हुए मृगापुत्र ने कहा
१. यह शरीर अनित्य है। २. यह शरीर अशुचि है।
३. यह शरीर अशुचि से उत्पन्न हुआ है। Jain Education International For Private & Personal Use Only
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