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याद पिछले जन्म की
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अवाय-यह एक पूरा क्रम है ग्रहण का। अवाय के बाद होती है धारणा। जिस व्यक्ति में धारणा की शक्ति जितनी मजबूत होती उस व्यक्ति की स्मृति भी उतनी ही मजबूत होगी। जब तक विषयों और शरीर में मन चंचल बना रहता है तब तक धारणा स्थिर नहीं होती। मन की चंचलता के कम होने पर ही धारणा सुदृढ़ हो सकती है।
विषयेषु शरीरे च, मनश्चांचल्यमश्नुते।
ताभ्यां विरतिमापन्ने, धारणा स्थिरतां व्रजेत् ।। बहुत लोग कहते हैं-स्मरण शक्ति कमजोर है पर वे इस बात को भुला देते हैं-स्मृति कमजोर नहीं है, धारणा की शक्ति कमजोर है। स्मृति अपने आपमें स्वतंत्र नहीं है, वह धारणा से बंधी हुई है।
इस संदर्भ में हम जैन मनोविज्ञान का विश्लेषण करें। विस्मृति की समस्या कहां पैदा नहीं होती? एक व्यक्ति बहुत विद्वान है, हजारों ग्रन्थ याद कर लेता है। जो भी पढ़ता है, उसे भूलता नहीं। उसने एक व्यक्ति से पूछा-तुम्हारा नाम क्या है? उस व्यक्ति ने अपना नाम बता दिया। दो घंटे बीते। फिर वही व्यक्ति मिला। उसने फिर वही प्रश्न दोहराया-तुम्हारा नाम क्या है? उस व्यक्ति ने कहा-'अभी दो घंटे पहले आपको नाम बतलाया था। आप इतनी देर में भूल गए। आपको मेरा नाम भी याद नहीं रहता।' दूसरे दिन फिर वही व्यक्ति मिला
और वे ही प्रश्न फिर पूछे गये-तुम कौन हो, कहां से आए हो? तुम्हारा नाम क्या है? व्यक्ति सोचता है-यह क्या? मैंने सुना था इनकी स्मृति बहुत तेज है। इन्हें हजारों पद्य कंठस्थ हैं। इनको तो एक नाम भी याद नहीं रहा। तीन बार बता दिया, फिर भी भूल गये। वह आश्चर्य में डूब जाता है।
प्रायः प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में ऐसी घटनाएं घटती हैं। इसका कारण है-व्यक्ति जिस बात की धारणा मजबूत नहीं करता, वह बात बीस बार पूछने पर भी विस्मृत हो जाती है। जैसे-जैसे आदमी समझदार होता है, काम की बातों की धारणा करता चला जाता है, निकम्मी बातों को छोड़ता चला जाता है। जिस बात को छोड़ते चले जाएंगे, उसकी धारणा नहीं बनेगी। जिसकी धारणा नहीं होगी, उसकी स्मृति नहीं रहेगी। इस स्थिति में अनेक बार समस्या पैदा हो जाती है। एक व्यक्ति कहता है-मैंने तुम्हें यह बात कही थी। दूसरा व्यक्ति कहता है-नहीं! तुमने मुझे कुछ कहा ही नहीं। उस व्यक्ति ने कहा-तुम झूठ बोलते हो। दूसरा व्यक्ति भी उसी भाषा में बोलने लग जाता है। एक व्यक्ति कह रहा है-तुम झूठ बोल रहे हो और दूसरा कह रहा है-तुम झूठ बोल रहे हो। इस स्थिति में किसे सही माने? क्या निर्णय करे? मनोविज्ञान के क्षेत्र में यह बहुत बड़ी उलझन है। इसका समाधान यही होगा-दोनों झूठ नहीं बोल रहे हैं। जिसने कहा-मैंने अमुक बात कही है, वह भी सही कहता है। जिसने कहा, मैंने यह बात नहीं सुनी है, वह भी सही है। तुम दोनों सही हो
पत्नी ने आइंस्टीन से कहा-'आपका नौकर निकम्मा है। कोई काम नहीं करता। ऐसे निकम्मे आदमी को रखने का अर्थ ही क्या है?' आइंस्टीन Jain Education International For Private & Personal Use Only
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