________________
२०८
महावीर का पुनर्जन्म प्रश्न पूछा गया-'भगवन्! एक वर्ष के दीक्षित साधु को कितना सुख उपलब्ध होता है?' महावीर ने उत्तर दिया- 'एक वर्ष का दीक्षित साधु सर्वार्थसिद्ध के देवताओं के सुखों का अतिक्रमण कर देता है।'
__हम अभिधा से नहीं, लक्षणा से विचार करें। सर्वार्थसिद्ध का लाक्षणिक अर्थ है-जिसके अर्थ सिद्ध हो गए। साधक चेतना की उस भूमिका पर पहुंच गया, जहां पहुंचने पर कोई प्रयोजन शेष नहीं रहता। इस संदर्भ में यह प्रश्न बहुत महत्त्वपूर्ण है-मैं कहां हूं? मैं कौन हूं-इससे पहले यह प्रश्न उभरे-मैं कहां हूं? जिसके सामने क्षितिज पर यह प्रश्न लिखा रहेगा, उसकी साधना में निरन्तर निखार आता रहेगा, साधुता की कसौटियां उसके लिए मार्गदर्शक बन जाएंगी।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org