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महावीर का पुनर्जन्म
सौधर्म देवलोक में पद्मगुल्म नामक विमान में देखा है। इस मधुकरी गीत नाटक को बहुत बार देखा है और यह वही नाटक है।
जातिस्मृति–पूर्वजन्म की स्मृति हो गई। राजा को बहुत आह्लाद मिला-ओह! कितना सुन्दर था सौधर्म कल्प देवलोक और कितना सुन्दर था पद्मगुल्म विमान! कितनी ऋद्धि थी, कितनी समृद्धि और कितना वैभव था! उसके सामने चक्रवर्ती का वैभव कुछ भी नही है। अपने अतीत के वैभव को देखकर चक्रवर्ती पुलकित हो उठा। किन्तु इस पुलकन के साथ-साथ वेदना भी उभर आई। उसने सोचा-अरे! मेरा भाई कहां गया? एक नया प्रश्न खड़ा हो गया। मेरा भाई कहां है? मैं अकेला हो गया। अपने भाई से बिछुड़ गया। मन में एक अकुलाहट और वेदना का भाव प्रबल हो गया। उसकी पीड़ा फूट पड़ी। वह बार-बार इस अर्द्ध श्लोक को दोहराने लगा
आस्व दासौ मृगौ हंसौ, मातंगावमरौ तथा। मंत्री वरधनु ने देखा-सम्राट को क्या हो गया? पहले तो मूर्छित हुए थे। अब लगता है-दिमाग में कोई अस्त-व्यस्तता आ गई है। बहुत बार ऐसा होता है, जब कोई भीतर का दरवाजा खुलता है, आन्तरिक अनुभूतियां जागती हैं, उस समय आदमी जो चेष्टाएं करता है, जो सोचता और बोलता है, तब दूसरों को ऐसा लगता है, व्यक्ति पागल हो गया है। इस प्रकार की घटनाएं बहुत बार घटती हैं। ध्यान की गहराई में जाने वाला व्यक्ति भी ऐसी स्थिति में चला जाता है। देखने वाले लोग सोचते हैं-अमुक व्यक्ति को क्या हो गया? वे घबरा जाते है।
अलग-अलग दुनिया है। एक समझदारी की दुनिया है। वहां समझदारी यह है-जो बनी-बनाई सीमा-रेखा है, उसमें रहे, वह समझदार है। जो उससे थोड़ा इधर-उधर चला जाए, वह पागल है। एक दूसरी दुनिया है, जिसमें जीने वाले लोग सोचते हैं वे सब पागल हैं, जो मूर्छा से ग्रस्त हैं, विषय-भोगों में मूढ़ बने हुए है।
। ऐसा ही कुछ हो रहा था चक्रवर्ती की सभा में। चक्रवर्ती जनता को पागल समझ रहा था और जनता चक्रवर्ती को पागल समझ रही थी। यह एक विचित्र स्थिति थी। मंत्री वरधनु ने सोचा-चक्रवर्ती को क्या हो गया है? कहीं पगला तो नहीं गया है? बार-बार अर्थहीन बात बोलता जा रहा है। कुछ भी अर्थ समझ में नहीं आ रहा है। क्या कह रहे हैं? कुछ भी पता नहीं चल रहा वरधनु मंत्री ही नहीं था, राजा का मित्र भी था। उसने कहा-राजन्! आप क्या कर रहे हैं? बार-बार इस प्रकार की असंबद्ध बातें करना अच्छा नहीं लगता। सामने नाटक हो रहा है, हजारों संभ्रान्त नागरिक खड़े हैं। अनेक देशों के राजा यहां आए हुए हैं, उन पर क्या असर होगा?
चक्रवर्ती बोला-'क्या अच्छा नहीं लगता? तुम जाओ और यह घोषणा कर दो-जो इस श्लोक को पूरा करेगा, उसे आधा राज्य दूंगा।'
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