SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 29
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १२ जीवन विज्ञान : सिद्धान्त और प्रयोग मामले में किसी से पीछे रहना नहीं चाहता। एक व्यक्ति शिष्ट बनकर मुझे नमस्कार करे और मैं नमस्कार न कर उसके पीछे रह जाऊं, तब मैं राष्ट्रपति कहां रहा? राष्ट्रपति तो वह बन गया और मैं उसके नीचे रह गया। यह जो परिष्कार का विचार पैदा होता है, वह परिष्कार की प्रक्रिया का ही प्रतिफलन है। विद्यार्थी के मस्तिष्क का परिष्कार करना, यह शिक्षा प्रणाली का एक महत्त्वपूर्ण कार्य होना चाहिए। जीवन विज्ञान का अर्थ है-परिष्कार करना।। __जीवन विज्ञान की प्रणाली चार पहलुओं के आधार पर प्रस्तुत की गयी १. प्राणधारा का संतुलन। ३. क्षमता की आस्था का जागरण। २. जैविक संतुलन की स्थापना। ४. परिष्कार। इसका प्रतिफलन चार आयामों में होगा१. शारीरिक विकास ३. मानसिक विकास २. बौद्धिक विकास ४. भावनात्मक विकास। अभ्यास १. वे तीन कौनसी मौलिक वृत्तियां हैं, जो मनुष्य के विकास का आधार बनीं? २. संतुलित शिक्षा प्रणाली का तात्पर्य क्या है? ३. हमारे दृष्टिकोण, व्यवहार और भाव को प्रभावित करने वाला उपादान कारण क्या है? ४. वर्तमान शिक्षा के संदर्भ में जीवन विज्ञान की आवश्यकता क्यों हुई? Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003108
Book TitleJivan Vigyana Siddhanta aur Prayoga
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2008
Total Pages236
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Education
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy