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जीवन विज्ञान : प्रायोगिक
२१५ पहली क्रिया
स्थिति-दोनों पैरों के मध्य अपने पांव तल की लम्बाई जितनी दूरी रखें |
(१) पूरक करते हुए बाएं पैर के अंगूठे को दायीं एड़ी से स्पर्श करें। दायीं ओर करवट लें। गर्दन बायीं ओर घुमाएं । श्वास को रेचन करते हुए पूर्व स्थिति में आ जाएं।
(२) पूरक कर दाएं पैर के अंगूठे को बायीं एड़ी से स्पर्श करते हुए बायीं ओर करवट लें। गर्दन दायीं ओर घुमाएं । श्वास का रेचन करते हुए मूल स्थिति में आ जाएं। दूसरी क्रिया
शरीर की स्थिति पूर्ववत् रहेगी।
दूसरी क्रिया की स्थिति-दाहिने पैर को सीधा ऊपर उठाकर एड़ी को बाएं पैर के अंगूठे और पास वाली अंगुलियों के बीच स्थापित करें।
(१) पूरक कर दोनों पैरों के पंजों को दाहिनी ओर ले जाकर भूमि को स्पर्श करें। शरीर दाहिनी ओर करवट लेगा, गर्दन बायीं ओर घुमाएं । रेचन करते हुए पूर्व स्थिति में आ जाएं।
(२) पूरक कर दोनों पैर बायीं ओर ले जाकर भूमि को स्पर्श करें। शरीर बायीं ओर करवट लेगा, गर्दन को दाहिनी ओर घुमाएं। रेचन करते हुए मूल स्थिति में आ जाएं।
नोट-इस क्रिया को पैर बदलकर भी दोहरायें । तीसरी क्रिया
शरीर की स्थिति पूर्ववत् रहेगी।
तीसरी क्रिया की स्थिति-बाएं पैर के टखने पर दाएं पैर के टखने को स्थापित करें।
(१) पूरक कर दोनों पैरों को बायीं ओर घुमाकर पैर को भूमि से स्पर्श कराएं। शरीर बायीं ओर करवट लेगा, गर्दन को दाहिनी ओर घुमाएं । रेचन करते हुए पूर्व स्थिति में आ जाएं।
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