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________________ जीवन विज्ञान : प्रायोगिक २०५ पूरे शरीर में एक साथ फैल सकता है । चित्त को पैर के दोनों अंगूठों पर केन्द्रित करें। पूरे शरीर के आकार में फैलते हुए पैर से सिर तक शीघ्रता से ले जाएं। उसी गति से सिर से पैर तक लाएं। बीच-बीच में श्वास- संयम के साथ शरीर - प्रेक्षा का प्रयोग करें। शरीर के कण-कण का स्पर्श करें। शरीर का कण-कण चेतना और प्राण के स्पर्श से झंकृत हो उठे। अनुभव करें, जैसे पूरे शरीर में बिजली की धार दौड़ रही है। कपड़े का स्पर्श, पसीना, खुजली, स्पंदन, दर्द जो कुछ हो रहा है, उसका तटस्थ भाव से अनुभव करें। अब धीमी गति से चित्त की यात्रा चलें। कहीं पीड़ा, अवरोध हो उस पर कुछ क्षणों के लिए रुकें। केवल जानें, पूर्ण स्वभाव रहे (तीन मिनट) ३. चैतन्य- केन्द्र - प्रेक्षा चैतन्य- केन्द्र चैतन्य-केन्द्रों की श्रृंखला में निम्नलिखित केंद्र हैं, जिनका स्थान और किस अन्तःस्रावी ग्रन्थि के साथ वे सम्बन्धित है, बताया गया है चैतन्य-केन्द्र स्थान और नाम शांति केन्द्र दर्शन केन्द्र.. अप्रमाद केन्द्र विशुद्धि केन्द्र तेजस केन्द्र Jain Education International शक्ति केन्द्र ज्ञान केन्द्र ज्योति केन्द्र • चाक्षुष केन्द्र प्राण केनाय ब्रह्म केन्द्र For Private & Personal Use Only · आनन्द केन्द्र स्वास्थ्य www.jainelibrary.org
SR No.003108
Book TitleJivan Vigyana Siddhanta aur Prayoga
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2008
Total Pages236
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Education
File Size9 MB
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